ईसप यूनानियों के विख्यात लेखक थे। उनकी छोटी-छोटी कहानियाँ संसार भर की सभ्यासभ्य भाषाओं में अनुवादित हैं।
एक समय किसी राही ने ईसप से पूछा कि अमुक नगर पहुँचने में कितनी देर लगेगी ? ईसप ने कहा, "आप जब पहुँचेंगे, तब पहुँचेगे।
"निश्चय--लेकिन कितनी देर में पहुँचूगा?"
"मुझे मालूम नहीं।"
राही अपनी धधकती हुई क्रोध की ज्वाला को रोक कर आगे बढ़ा। दो-तीन मिनट चल चुकने पर उसने पीछे से 'ठहरिए, जनाब!' का शब्द
सुना। ठहरा, जब तक ईसप ने पास दौड़कर हाँफते-हाँफते कहा--जनाब, आप एक घण्टे में पहुँचेंगे।
राही ने आवेश में आकर कहा, "तुम बड़े विचित्र आदमी हो। पहले से तुमने यह क्यों नहीं बतलाया?"
ईसप ने नम्रतापूर्वक उत्तर दिया, "जनाब! तब मैं नहीं जानता था कि आप कितनी तेज़ी से चल सकते हैं। मैं नहीं बतला सका कि आपका पहुँचने में कितनी देर लगेगी।"
- फ़ादर पालडेंट एस० जे०