मैं दुनिया की सब भाषाओं की इज्जत करता हूँ, परन्तु मेरे देश में हिंदी की इज्जत न हो, यह मैं नहीं सह सकता। - विनोबा भावे।
 

श्रद्धांजलि (काव्य)

Author: मैथिलीशरण गुप्त

अरे राम! कैसे हम झेलें,
अपनी लज्जा उसका शोक।
गया हमारे ही पापों से;
अपना राष्ट्र-पिता परलोक!

-मैथिलीशरण गुप्त

#

उपरोक्त का एक निम्न संस्करण भी उपलब्ध है--

हाय राम! कैसे झेलेंगे अपनी लज्जा, उसका शोक
गया हमारे ही पापों से अपना राष्ट्रपिता परलोक

 

-मैथिलीशरण गुप्त

Back

 
Post Comment
 
 
 
 
 

सब्स्क्रिप्शन

इस अंक में

 

इस अंक की समग्र सामग्री पढ़ें

 

 

सम्पर्क करें

आपका नाम
ई-मेल
संदेश