राष्ट्रभाषा के बिना आजादी बेकार है। - अवनींद्रकुमार विद्यालंकार।
मौत और ज़िन्दगी (कथा-कहानी)  Click to print this content  
Author:आनन्द मोहन अवस्थी

एक आदमी मौत से डरने वालों की सदा हँसी उड़ाया करता था, पर जब अन्तिम समय मौत ने उसके ही पास पहुँच अट्टहास किया, तो वह निश्चल, निश्चेष्ट, स्पन्दनहीन हो गया और फूट-फूट कर रो रही उसकी विधवा के पास, धरती पर 'घुटमुटइयाँ' चलने की चेष्टा करते हुये उसका बेटा किलकारी भर रहा था!

- आनन्द मोहन अवस्थी
   साभार - बन्धनों की रक्षा

 

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