मैं नहीं समझता, सात समुन्दर पार की अंग्रेजी का इतना अधिकार यहाँ कैसे हो गया। - महात्मा गांधी।
महिषासुर वध | दशहरा की पौराणिक कथा (कथा-कहानी)  Click to print this content  
Author:भारत-दर्शन संकलन

देवी दुर्गा ने विजय दशमी (दशहरा) के दिन महिषासुर जिसे भैंस असुर के नाम से भी जाना जाता है, का वध किया था।

पौराणिक कथाओं के अनुसार महिसासुर के एकाग्र ध्यान से बाध्य होकर देवताओं ने उसे अजय होने का वरदान दे दिया। महिसासुर को वरदान देने के बाद देवताओं में भय व्याप्त हो गया कि वह अब अपनी शक्ति का दुरपयोग करेगा। प्रत्याशित प्रतिफल स्वरूप सर्व शक्तिमान भैंस असुर महिषासुर ने नरक का द्वार स्वर्ग के द्वार तक खींच दिया और उसके इस विशाल साम्राज्य को देख देवता विस्मय की स्थिति में आ गए।

महिसासुर के इस दुस्साहस से क्रोधित होकर देवताओं ने देवी दुर्गा की रचना की। मान्यता है कि देवी दुर्गा के निर्माण में सारे देवताओं का एक समान बल लगाया गया था। महिषासुर का नाश करने के लिए सभी देवताओं ने अपने अपने अस्त्र देवी दुर्गा को दिए थे और देवताओं के सम्मिलित प्रयास से देवी दुर्गा और बलवान हो गईं और महिषासुर का वध करने में सक्षम रही।

 

 

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