यात्रा करो टिकिट लेकर टाँगे झोला कंधे पर आया यहाँ टिकिट चेकर। अब उनकी शामत आई जो न चढ़े टिकिट लेकर। उन्हें लगेगा जुर्माना या निपटें कुछ ले-देकर। बचना है झंझट से तो यात्रा करो टिकिट् लेकर।
--प्रभुदयाल श्रीवास्तव
[2] घर अपना है यह घर देखो अपना है जैसे सुंदर सपना है। इसमें बड़ा बचीचा है कल अम्मा ने सींचा है। कितने प्यारे फूल खिले चले हवा तो हिले डुले।
मह मह बेला मह्के इस सुगंध से मन बहके।
--प्रभुदयाल श्रीवास्तव
[3]
एक रुपये का सिक्का एक रुपये का सिक्का देखो इस पर है क्या लिक्खा देखो। इस पर रुपये एक लिखा अरे तुम्हें क्या नहीं पता? इसमे लिक्खा भारत है कितनी सही इबारत है। तीन शेर का चिन्ह बना भारत का है जो अपना।
--प्रभुदयाल श्रीवास्तव
[4] समय बड़ा अनमोल समय बड़ा अनमोल है समझो इसका मोल| व्यर्थ गँवाया किस तरह देखो हृदय टटोल। दो घंटे दिन में यदि सोते हो हर रोज| व्यर्थ किये दस साल में दिन कितने ये खोज? गुणा भाग जब किया तो निकला यह परिणाम| किये तीन सौ दिवस यूँ व्यर्थ गये बेकाम। --प्रभुदयाल श्रीवास्तव ई-मेल: pdayal_shrivastava@yahoo.com
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