जब से हमने अपनी भाषा का समादर करना छोड़ा तभी से हमारा अपमान और अवनति होने लगी। - (राजा) राधिकारमण प्रसाद सिंह।
लालची कुत्ता (बाल-साहित्य )  Click to print this content  
Author:पंचतंत्र

एक बार एक कुत्ते को कई दिनो तक कुछ खाने को न मिला, बेचारे को बहुत जोर से भूख लगी थी। तभी किसी ने उसे एक रोटी दे दी, कुत्ता जब खाने लगा तो उसने देखा दूसरे कुते भी उस से रोटी छीनना चाहते हैं। इसलिए मुँह में रोटी दबाए, वह किसी सुरक्षित स्थान को खोजने के लिए वहां से भाग खड़ा हुआ। थोड़ी दूरी पर उसे एक लकड़ी का पुल दिखाई दिया। कुते ने सोचा चलो दूसरी तरफ़ जा कर आराम से रोटी खाता हूँ।

कुता डरते-डरते उस संकरे पुल से दूसरी तरफ़ जाने के लिये चल पडा। तभी उस की नजर पानी मे पडी तो देखता है कि एक कुता पूरी रोटी मुँह मे दबाये नीचे पानी मे खडा है। उसे नहीं पता था कि वह अपनी ही परछाई को दूसरा कुता समझ रहा था।

कुते ने सोचा मैं यह रोटी भी इस से छीन लूं तो भरपेट खा लूं। और वो रोटी छीनने के लिए पानी मे्ं दिखाई देने वाले उस कुते पर भोंका कि उसके मुंह खोलते ही उसकी रोटी पानी में जा गिरी और बह गई। फिर तो उसे भूखे पेट ही सोना पड़ा।

शिक्षा - लालच बुरी बला है।

 

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