विदेशी भाषा के शब्द, उसके भाव तथा दृष्टांत हमारे हृदय पर वह प्रभाव नहीं डाल सकते जो मातृभाषा के चिरपरिचित तथा हृदयग्राही वाक्य। - मन्नन द्विवेदी।
मालवीय जी (कथा-कहानी)  Click to print this content  
Author:रोहित कुमार 'हैप्पी'

महामना मालवीय जी को एक विद्वान ने कहा-- "महाराज!  आप मुझे 100 गालियां देकर देख ले,  मुझे क्रोध नहीं आएगा।"

इस पर मालवीय जी ने मुस्कुराते हुए कहा--"पंडित जी!  आपके क्रोध की परीक्षा होने से पहले ही मेरी जबान तो गंदी हो ही जाएगी।  मैं ऐसा क्यों करूं?" 

प्रस्तुति: रोहित कुमार 'हैप्पी'

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"किसी पर कीचड़ मत उछालिए, हो सकता है आपका निशाना चूक जाए पर आपके हाथ तो सन ही जाएंगे।"

- डोरथी पार्कर [अमेरिकी कवयित्री]

 

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