भाषा संस्कृति प्राण देश के इनके रहते राष्ट्र रहेगा।
 हिन्दी का जय घोष गुँजाकर भारत माँ का मान बढ़ेगा।।
 हिन्दी का अमृत ओंठों पर, वाणी में हो उसका वंदन।
 मन में, लेखन में हिन्दी हो, प्रेम भाव हो और समर्पण।।
 भारत में जन्मी हर भाषा, जननी का अंतर्मन पहने।
 हिन्दी की बहनें प्यारी सब, भारत माता के गहने।।
 हिन्दी भाषा के गौरव से, युवा सभी ऊर्जामय होंगे।
 देवनागरी होगी व्यापक, कम्प्यूटर हिन्दीमय होंगे।।
 शुरू स्वयं से करें त्याग दें, हीन ग्रन्थि से भरा मन।
 भर दें हिन्दी भाव भक्ति से, पूरे भारत का जन गण मन ।।
 भारत संस्कृति प्राण देश के......
- महेश श्रीवास्तव