Sleeping Giant - Fijian Folk Story

यदि आप फीजी का भ्रमण कर रहे हों तो नांदी यहाँ का मुख्य हवाई अड्डा है। नांदी नगर के के समीप एक पर्वत है, जिसकी आकृति एक सोए हुए विशालकाय दैत्य जैसी है। इसे देखकर सचमुच ऐसा लगता है जैसे कि दूर कोई दैत्य विश्राम कर रहा है। इस पर्वत को "स्लीपिंग जायंट" (Sleeping Giant) के नाम से जाना जाता है। 

स्थानीय किंवदंती के अनुसार, बहुत पहले फीजी में एक विशालकाय दैत्य रहता था। एक बार उसने बहुत अधिक भोजन कर लिया और वह सुस्ताने के लिए पर्वत की चोटी पर सो गया। वह ऐसा सोया कि अभी तक नहीं जागा। समय के साथ, वह वहीं पर पत्थर बन जड़वत हो गया। उसकी आकृति आज भी पर्वत की रूपरेखा में दिखाई देती है।

इस सोये हुए दैत्य के बारे में वहाँ के कबीलों में एक और कथा प्रचलित है कि बहुत समय पहले इस घाटी के मूल निवासियों के बीच एक दैत्य भी रहता था। वह विशाल, सौम्य और दयालु था। मूल निवासियों ने उससे वचन ले रखा था कि वह आगे से कभी हिंसा नहीं करेगा और किसी जीव को नुकसान नहीं पहुंचाएगा। 

दैत्य ने खुशी-खुशी शपथ लेकर घाटी के निवासियों को वचन दे दिया कि वह कभी भी किसी जीव को हानि नहीं पहुंचाएगा।  इस वचन के बदले उसे अमरता का वरदान दिया गया। अब तो वह जन-सामान्य के बीच घाटी के बच्चों से खेलता, वृद्धों की सहायता करता और समूची घाटी का प्रहरी बन उसकी रक्षा करता। यह विशालकाय दैत्य अब वहाँ के लोगों के लिए देव बन गया था। 

सब कुछ सामान्य चल रहा था। घाटी के लोग भी उसे अपने से भिन्न न समझते और सब लोग उसे खूब चाहते थे। उसका खूब मान-सम्मान होता था।

अचानक एक दिन एक क्रूर राक्षस ने घाटी पर हमला कर दिया। लोग भयभीत हो गए। दयालु दैत्य घाटी की रक्षा के लिए इस आक्रमणकारी राक्षस को चतुराई से एक दलदली झील की ओर ले गया, जहाँ वह उत्पाती राक्षस दलदल में फँस गया और अंततः मर गया।

घाटी फिर से सुरक्षित हो गई। जश्न का माहौल था--लोग झूमने-नाचने लगे। 

...लेकिन यह क्या? कबीले के मुखियाओं ने देवतुल्य दैत्य से कहा—"तुमने निःसन्देह हमारे कबीलों की रक्षा की हाँ लेकिन फिर भी तुमने शपथ तोड़ने का अपराध किया है। भले ही उद्देश्य पावन रहा हो, लेकिन वचनभंग पाप से कम नहीं है।"

कबीले के मुखियाओं ने इस विशालकाय देव को प्रतिज्ञा तोड़ने का अपराधी माना। परिणामस्वरूप, उसे शाप दे दिया—'तुम, चिरनिद्रा में चले जाओ।'

देव ने मुखियाओं का निर्णय स्वीकार करते हुए, उनसे कहा, "मुझे शांत पड़ा रहने दिया जाए और मेरी निद्रा में कोई विघ्न न पड़े।'

मुखियाओं ने उसकी इस प्रार्थना को स्वीकार करते हुए उसे पर्वत के शिखर पर स्थान दिया। वहाँ शांति बनाए रखने और यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई 'सोये हुए दैत्य' की नींद में खलल न डाले, घाटी के लोगों ने चारों ओर विषैले साँपों का घेरा बना दिया—खासकर विषैले नागों (रैटलस्नेक) का। वे साँप अब भी उस पर्वत की तलहटी में बसे हैं। आज भी विषैले साँप उस पाषाण-महामानव की निर्विघ्न निद्रा के प्रहरी बने हुए हैं।  

घाटी के हृदय में पाषाण-महामानव बन वह दैत्य आज भी चिरनिद्रा में लीन है। सोये हुए दैत्य की आकृति वाला पर्वत अनंतकाल तक अपनी अमर कहानी कहता रहेगा। घाटी के कबीलों का विश्वास है कि वह देव आज भी उनकी व घाटी की सुरक्षा कर रहा है। जब तक वह वहाँ है, वे और घाटी दोनों सुरक्षित हैं। 

गार्डन ऑफ द स्लीपिंग जायंट
इस पर्वत के तलहटी में "गार्डन ऑफ द स्लीपिंग जायंट" नामक एक सुंदर बाग है, जिसे 1977 में हॉलीवुड अभिनेता रेमंड बूर (Raymond Burr) ने बनवाया था। यह बाग 20 हेक्टेयर में फैला हुआ है और इसमें 2,000 से अधिक ऑर्किड प्रजातियाँ और अन्य उष्णकटिबंधीय पौधे पाए जाते हैं।

-रोहित कुमार हैप्पी
 न्यूज़ीलैंड