भाषा और राष्ट्र में बड़ा घनिष्ट संबंध है। - (राजा) राधिकारमण प्रसाद सिंह।
विश्व हिन्दी दिवस | 10 जनवरी
 
 

विश्व हिन्दी दिवस का उद्देश्य विश्व में हिन्दी के प्रचार-प्रसार के लिए वातावरण निर्मित करना, हिन्दी के प्रति अनुराग पैदा करना, हिन्दी की दशा के लिए जागरूकता पैदा करना तथा हिन्दी को विश्व भाषा के रूप में प्रस्तुत करना है।

विदेशों में भारतीय दूतावास विश्व हिन्दी दिवस को विशेष आयोजन करते हैं। सभी सरकारी कार्यालयों में विभिन्न विषयों पर हिन्दी के लिए अनूठे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

10 जनवरी ही क्यों?

विश्व में हिन्दी प्रचारित- प्रसारित करने के उद्देश्य से विश्व हिन्दी सम्मेलन का आयोजन आरंभ किया गया था। प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन 10 जनवरी, 1975 को नागपुर में आयोजित हुआ था। अत: 10 जनवरी का दिन ही विश्व हिन्दी दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया।

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 10 जनवरी 2006 को प्रति वर्ष विश्व हिन्दी दिवस (10 जनवरी) के रूप मनाए जाने की घोषणा की थी।

सनद रहे

विश्व हिन्दी दिवस के अतिरिक्त 14 सितंबर को 'हिंदी-दिवस' के रूप में मनाया जाता है। 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया था तभी से 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है।

 

 
गांधी का हिंदी प्रेम

महात्मा गांधी की मातृभाषा यद्यपि गुजराती थी तथापि वे भारतीय स्वतंत्रता-संग्राम में जनसंपर्क हेतु हिन्दी को ही सर्वाधिक उपयुक्त भाषा मानते थे।

भारत-दर्शन समाचार

'भाषा विश्वं योजयति' अर्थात् भाषा विश्व को जोड़ती है : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
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विश्व हिन्दी दिवस | हास्य-कविता

विश्व हिन्दी दिवस पर
एक स्वयंभू नेता
बतिया रहे थे,
'मेरी पब्लिक से
ये रिक्वेस्ट है
कि वे हिन्दी अपनाएं
इसे नेशनवाइड पापुलर लेंगुएज बनाएं
और
हिन्दी को नेशनल लेंगुएज बनाने की
अपनी डयूटी निभाएं।'

सुभाषबाबू का हिन्दी प्रेम

सुभाषबाबू हिन्दी पढ़ लिख सकते थे, बोल सकते थे मगर वह इसमें बराबर हिचकते और कमी महसूस करते थे। वह चाहते थे कि हिन्दी में वह हिन्दी भाषी लोगों की तरह ही सब काम कर सकें।

हिंदी जन की बोली है

एक डोर में सबको जो है बाँधती
वह हिंदी है,
हर भाषा को सगी बहन जो मानती
वह हिंदी है।
भरी-पूरी हों सभी बोलियां
यही कामना हिंदी है,
गहरी हो पहचान आपसी
यही साधना हिंदी है,
सौत विदेशी रहे न रानी
यही भावना हिंदी है।

हिंदी मातु हमारी - प्रो. मनोरंजन

प्रो. मनोरंजन जी, एम. ए, काशी विश्वविद्यालय की यह रचना लाहौर से प्रकाशित 'खरी बात' में 1935 में प्रकाशित हुई थी।

 
Posted By Jitendra   on  Thursday, 01-01-1970
हिंदी आज अपने ही लोगों से अपमानित है अपने ही लोग शर्माते हैं इसे बोलने मे १४ सितंबर को खोखले भाषन क्यु..मैं समर्पित हू पर मेरी सुने कोन 9981364481
Posted By Puju   on  Thursday, 01-01-1970
9758193425
Posted By हेमराज मीना   on  Thursday, 01-01-1970
Jai ho
Posted By अरुण घोडेराव   on  Thursday, 01-01-1970
विश्व हिंदी दिवस चिरायु हो !
Posted By डॉ मोनिका    on  Thursday, 01-01-1970
हमारी शान हमारी जान हमारी धरोहर हमारा भविष्य है हिंदी
Posted By Manoj   on  Thursday, 01-01-1970
1970 me mobile number kaha se aaya

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