वह मोती का लाल जवाहर, अपने युग का वह नरनाहर । भोली भाली मुस्कानों पर, करता था सर्वस्व निछावर ।
वह बच्चों का प्यारा चाचा, उनका हित सोचा करता था । बड़े चाव से बच्चों के संग, बच्चा बन खेला करता था ।
सौंप दिया नन्हें बच्चों को, अपना जन्म दिवस भी उसने । प्यार दिखाने को बच्चों को, युक्त ख़ूब यह सोची उसने ।
-डा राणा प्रताप सिंह 'राणा' [मीठे बोल]
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