यह कैसे संभव हो सकता है कि अंग्रेजी भाषा समस्त भारत की मातृभाषा के समान हो जाये? - चंद्रशेखर मिश्र।

भारत-दर्शन संकलन | Collections | Profile & Collections

भारत-दर्शन संकलन में भारत-दर्शन द्वारा संकलित उन रचनाकारों की रचनाएं सम्मिलित की गई हैं जिनके अंतरजाल पृष्ठ अभी नहीं हैं या पृष्ठ निर्माणाधीन हैं। कुछ ऐसी रचनाएं भी सम्मिलित की गई हैं जिनके रचनाकारों की जानकारी नहीं है, उन्हें 'अज्ञात' रचनाकार के रूप में प्रकाशित किया गया है। यदि यहाँ संकलित कोई रचना 'अज्ञात' रचनाकार के रूप में प्रकाशित है और आपको इसके बारे में जानकारी है तो कृपया हमें अवश्य सूचित करें। आभार!

भारत-दर्शन संकलन | Collections's Collection

Total Records: 30

लालबहादुर शास्त्री

भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर, 1904 को मुगलसराय, उत्तर प्रदेश के एक सामान्य निम्नवर्गीय परिवार में हुआ था। आपका वास्तविक नाम लाल बहादुर श्रीवास्तव था। शास्त्री जी के पिता शारदा प्रसाद श्रीवास्तव एक शिक्षक थे व बाद में उन्होंने भारत सरकार के राजस्व विभाग में क्लर्क के पद पर कार्य किया।

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सुभाषबाबू का हिन्दी प्रेम

सुभाषबाबू हिन्दी पढ़ लिख सकते थे, बोल सकते थे मगर वह इसमें बराबर हिचकते और कमी महसूस करते थे। वह चाहते थे कि हिन्दी में वह हिन्दी भाषी लोगों की तरह ही सब काम कर सकें।एक दिन उन्होंने अपने उदगार प्रकट करते हुए कहा, "यदि देश में जनता के साथ राजनीति करनी है, तो उसका माध्यम हिन्दी ही हो सकती है। बंगाल के बाहर मैं जनता में जाऊं तो किस भाषा में बोलूं? इसलिए कांग्रेस का सभापति बनकर मैं हिन्दी खूब अच्छी तरह न जानू तो काम नहीं चलेगा। मुझे एक  मास्टर दीजिए, जो मेरे साथ रहे और मेरा हिन्दी का सारा काम कर दे। इसके साथ ही जब मैं चाहूं और मुझे समय मिले तब मैं उससे हिन्दी सीखता रहूं।"श्री जगदीशनारायण तिवारी को, जो मूक कांग्रेस कर्मी थे और हिन्दी के अच्छे शिक्षक थे, सुभाषबाबू के साथ रखा गया। हरिपुरा कांग्रेस में तथा सभापति के दौरे के समय वह बराबर सुभाषबाबू के साथ रहे। सुभाषबाबू ने बड़ी लगन से हिन्दी सीखी और वह सचमुच बहुत अच्छी हिन्दी लिखने, पढ़ने और बोलने लगे।'आजाद हिंद फौज' का काम और सुभाषबाबू के वक्तव्य प्राय: हिन्दी में होते थे। नेताजी भविष्यदृष्टा थे और भलीभांति जानते थे कि जिस देश की अपनी राष्ट्रभाषा नहीं होती, वह खड़ा नहीं रह सकता।#साभार - बड़ों की बड़ी बातपुन: संपादन - भारत-दर्शन

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गांधी का हिंदी प्रेम

महात्मा गांधी की मातृभाषा यद्यपि गुजराती थी तथापि वे भारतीय स्वतंत्रता-संग्राम में जनसंपर्क हेतु हिन्दी को ही सर्वाधिक उपयुक्त भाषा मानते थे।

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हिंदी मातु हमारी - प्रो. मनोरंजन

प्रो. मनोरंजन जी, एम. ए, काशी विश्वविद्यालय की यह रचना लाहौर से प्रकाशित 'खरी बात' में 1935 में प्रकाशित हुई थी।

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दो अक्टूबर - रत्न चंद 'रत्नेश'

लाल बहादुर, महात्मा गांधीलेकर आए ऐसी आंधीकायाकल्प हुआ देश काजन-जन में चेतना जगा दी।

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शास्त्रीजी - कमलाप्रसाद चौरसिया | कविता

पैदा हुआ उसी दिन,जिस दिन बापू ने था जन्म लियाभारत-पाक युद्ध में जिसनेतोड़ दिया दुनिया का भ्रम।

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गांधी जी के बारे में कुछ तथ्य

 

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वन्देमातरम्

'वन्‍देमातरम्' बंकिम चन्‍द्र चटर्जी द्वारा संस्‍कृत में रचा गया; यह स्‍वतंत्रता की लड़ाई में भारतीयों के लिए प्रेरणा का स्रोत था। इसका स्‍थान हमारे राष्ट्र गान, 'जन गण मन...' के बराबर है। इसे पहली बार 1896 में भारतीय राष्‍ट्रीय काँग्रेस के सत्र में गाया गया था।

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गांधी जी का अंतिम दिन

गांधीजी के अंतिम दिन का कई लेखकों ने विवरण लिखा है। यहाँ हम सभी उपलब्ध विवरणों को संकलित करेंगे। इन विवरणों में प्यारेलाल, स्टीफन मर्फी, वी कल्याणम के विवरण सम्मिलित किए गए हैं।गांधीजी का अंतिम दिन - स्टीफन मर्फीबापू का अंतिम दिन - प्यारे लालमहात्मा गांधी के जीवन के अंतिम 48 घंटों की झलकियां -वी कल्याणमगांधी को श्रद्धांजलि

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स्वतंत्रता दिवस भाषण

स्वतंत्रता दिवस भाषणों का संकलन।

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भगत सिंह को पसंद थी ये ग़ज़ल

उन्हें ये फिक्र है हर दम नई तर्ज़-ए-जफ़ा क्या है हमें ये शौक़ है देखें सितम की इंतिहा क्या है

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भगतसिंह पर लिखी कविताएं

इन पृष्ठों में भगतसिंह पर लिखी काव्य रचनाओं को संकलित करने का प्रयास किया जा रहा है। विश्वास है आपको सामग्री पठनीय लगेगी।

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प्रेमचंद का अंतिम दिन

आठ अक्तूबर । सुबह हुई। जाडे की सुबह । सात-साढ़े सात का वक्त होगा ।

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प्रधानमंत्री का दशहरा भाषण

लखनऊ के ऐशबाग रामलीला मैदान में दशहरा महोत्सव (11-10-2016) में प्रधानमंत्री द्वारा दिए गया भाषण:

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आत्म-निर्भरता

एक बहुत भोला-भाला खरगोश था। उसके बहुत से जानवर मित्र थे।  उसे आशा थी कि वक्त पड़ने पर मेरे काम आएँगे।

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रहीम और कवि गंग

कहा जाता है कि रहीम दान देते समय ऑंखें उठाकर ऊपर नहीं देखते थे। याचक के रूप में आए लोगों को बिना देखे वे दान देते थे। अकबर के दरबारी कवियों में महाकवि गंग प्रमुख थे। रहीम के तो वे विशेष प्रिय कवि थे। एक बार कवि गंग ने रहीम की प्रशंसा में एक छंद लिखा, जिसमें उनका योद्धा-रूप वर्णित था। इसपर प्रसन्न होकर रहीम ने कवि को छत्तीस लाख रुपए भेंट किए।

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कुंभनदास और अकबर कथा

कुंभनदास जी गोस्वामी वल्लभाचार्य के शिष्य थे। इनकी गणना अष्टछाप में थी। एक बार इन्हें अकबर के आदेश पर फतेहपुर सीकरी हाजिर होना पड़ा।

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प्राचीन कथाएँ

इन पृष्ठों में पुरातन ग्रन्थों से प्राचीन कथाएँ संकलित की जा रहीं हैं ताकि हम एक पुरातन कथा संग्रह उपलब्ध करवा सकें।

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माओरी कहावतें

एक माओरी कहावत है, ‘E tino mōhio ai te tāngata ki te tāngata me mōhio anō ki te reo me ngā tikanga taua tāngata.’ -- लोगों को अच्छी तरह से जानने के लिए, उनकी भाषा और रीति-रिवाजों को जानना आवश्यक है। तभी हमें लगा कि भारतीय दृष्टि से माओरी संसार को समझने का प्रयास करना चाहिए।

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सादा जीवन, उच्च विचार वाले प्रधानमंत्री

यहाँ भारत के लोकप्रिय प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी के जीवन से जुड़े संस्मरणों व प्रेरक-प्रसंगों को संकलित किया गया है। शास्त्रीजी निसंदेह, 'सादा जीवन, उच्च विचार' वाले व्यक्तित्व के स्वामी थे।

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लालबहादुर शास्त्री के अनमोल वचन

लालबहादुर शास्त्री की जयंती के अवसर पर शास्त्रीजी के विचार-

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कवि प्रदीप की कविताएं

कवि प्रदीप का जीवन-परिचय व कविताएं

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चूहे की कहानी

एक विशाल घने जंगल में एक महात्मा की कुटिया थी और उसमें एक चूहा रहा करता था। महात्मा उसे बहुत प्यार करते थे। जब पूजा से निवृत हो वे अपनी मृगछाला पर आ बैठते तो चूहा दौड़ता हुआ उनके पास आ पहुँचता। कभी उनकी टाँगो पर दौड़ता, कभी कूद कर उनके कंधों पर चढ़ बैठता। महात्मा सारे वक्त हँसते रहते। धीरे-धीरे उन्होंने चूहे को मनुष्यों की तरह बोलना भी सिखा दिया ।

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ओछी मानसिकता - मीरा जैन

ढेर सारे माटी के दीयों को देखते ही सावित्री पति पर बरस पड़ी, ‘दीपावली में वैसे ही मुझे घर के काम से फुर्सत नहीं है और ऊपर से ये ढेर सारे दीये उठा लाए। अपनी इस ओछी मानसिकता को त्याग दो कि ज्यादा दीपक जलाने से ज्यादा लक्ष्मी आएगी। अरे, जितना किस्मत में होगा उतना ही मिलेगा। मैं आखिर कब तक खटती फिरूं?'

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दीया घर में ही नहीं, घट में भी जले - ललित गर्ग

दीपावली का पर्व ज्योति का पर्व है। दीपावली का पर्व पुरुषार्थ का पर्व है। यह आत्म साक्षात्कार का पर्व है। यह अपने भीतर सुषुप्त चेतना को जगाने का अनुपम पर्व है। यह हमारे आभामंडल को विशुद्ध और पर्यावरण की स्वच्छता के प्रति जागरूकता का संदेश देने का पर्व है। प्रत्येक व्यक्ति के अंदर एक अखंड ज्योति जल रही है। उसकी लौ कभी-कभार मद्धिम जरूर हो जाती है, लेकिन बुझती नहीं है। उसका प्रकाश शाश्वत प्रकाश है। वह स्वयं में बहुत अधिक देदीप्यमान एवं प्रभामय है। इसी संदर्भ में महात्मा कबीरदासजी ने कहा था-'बाहर से तो कुछ न दीसे, भीतर जल रही जोत'।

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धनतेरस | पौराणिक लेख

कार्तिक मास में त्रयोदशी का विशेष महत्व है, विशेषत: व्यापारियों और चिकित्सा एवं औषधि विज्ञान के लिए यह दिन अति शुभ माना जाता है।

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दीप जलाओ | दीवाली बाल कविता

दीप जलाओ दीप जलाओआज दिवाली रेखुशी-खुशी सब हँसते आओआज दिवाली रे।

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दीवाली का सामान

हर इक मकां में जला फिर दिया दिवाली काहर इक तरफ को उजाला हुआ दिवाली कासभी के दिन में समां भा गया दिवाली काकिसी के दिल को मजा खुश लगा दिवाली काअजब बहार का है दिन बना दिवाली का।

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पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म-दिवस | बाल-दिवस

14 नवंबर को भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म-दिवस होता है। इसे भारत में 'बाल-दिवस' (Bal Diwas) के रूप में बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। नेहरूजी को 'चाचा नेहरू' के रूप में जाने जाते हैं क्योंकि उन्हें बच्चों से बहुत प्यार था।

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विश्व हिंदी सम्मेलन

हिंदी को विश्व स्तर पर प्रसारित और प्रचारित करना है जिससे वैश्विक स्तर पर हिंदी को स्थापित करने में सहायता मिल सके।

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