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डॉ मृदुल कीर्ति | Profile & Collections
डॉ मृदुल कीर्ति का जन्म 7 अक्तूबर 1951 को उत्तर प्रदेश के पूरनपुर, जिला पीलीभीत में हुआ। आपने राजनीति विज्ञान में मेरठ विश्वविद्यालय से 1991 में पीएच.डी की। आप आगरा विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में एम.ए हैं और इलाहाबाद विश्वविद्यालय से आपने हिंदी साहित्य में एम.ए किया।
प्रकाशित ग्रन्थ:
श्रीमद भगवदगीता का काव्यात्मक अनुवाद (ब्रज भाषा) में (2001) श्री कृष्ण की जन्म स्थली मथुरा में बोली जाने वाली ब्रज भाषा में काव्य रूपांतरित।
सामवेद का हिंदी पद्यानुवाद (1988), चौपाई छंद में सामवेद का सर्व प्रथम पद्यात्मक रूपांतरण, मौलिकता के सदर्भ सहेजे हुए, पद्य का सौंदर्य समेटे हुए। क्लिष्टता से दिव्य रसामृत का अकिंचन प्रयास। सामवेद का पद्यात्मक अनुवाद. संस्कृत साहित्य अकेडमी उत्तर प्रदेश द्वारा, अनुवाद पुरस्कार से पुरस्कृत।
ईशादी नौ उपनिषदों का काव्यात्मक अनुवाद (1996), हरिगीतिका छंद में अनुवादित विश्व के सर्व प्रथम काव्यात्मक अनुवाद। ईश, केन, कठ, प्रश्न, मुण्डक, मांडूक्य, ऐतरेय, तैत्तरीय और श्वेताश्वर।
ईहातीत क्षण—दार्शनिक गद्य-काव्य (1999)
एक आध्यात्मिक और दार्शनिक गद्य काव्य संग्रह।
अष्टावक्र गीता—गीतिका छंद में काव्य रूपांतरण (2006) विश्व का सर्व प्रथम गेय शैली में काव्यानुवाद।
पातंजलि योग दर्शन—हिंदी व्याख्यात्मक काव्यानुवाद। विश्व का अति प्रथम, पतंजलि योग दर्शन का काव्य रूपांतरण। चौपाई छंद में अनुवादित और रामायण की तरह ही गेय जो गाया भी जा चुका है। सम्पूर्ण यज्ञ के मन्त्र काव्य में रूपांतरित।
डॉ मृदुल कीर्ति's Collection
Total Records: 3
कटी पतंग
एक पतंग नीले आकाश में उड़ती हुई,मेरे कमरे के ठीक सामनेखिड़की से दिखता एक पेड़,अचानक पतंग कट करवहाँ अटक गयी।
गिरमिटिया की पीर
मैं पीड़ा की पर्ण कुटी मेंपीर पुराण भरी गाथा हूँगिरमिटिया बन सात समंदर पार गया वह व्यथा कथा हूँ।
मुझे थाम लेना
महाकाल से भी प्रबल कामनाएं,हैं विकराल भीषण अहम् की हवाएं,ये पर्वत हिमानी हैं, ममता के आँचल,नहीं तृप्त होते हैं तृष्णा के बादल,ये भीषण बबंडर है कुंठा की दल-दल,मुझे थाम लो इसमें धंसने से पहले,मुझे थाम लेना बिखरने से पहले।