यदि पक्षपात की दृष्टि से न देखा जाये तो उर्दू भी हिंदी का ही एक रूप है। - शिवनंदन सहाय।

शिवानी

गौरा पंत ‘शिवानी' का जन्म विजयादशमी के दिन 17 अक्टूबर 1923 को गुजरात के पास राजकोट शहर में हुआ था। आप हिन्दी की सुप्रसिद्ध उपन्यासकार थीं। शिवानी आधुनिक विचारों की समर्थक थीं।

मुख्य कृतियाँ: 

उपन्यास : कृष्णकली, कालिंदी, अतिथि, पूतों वाली, चल खुसरों घर आपने, श्मशान चंपा, मायापुरी, कैंजा, गेंदा, भैरवी, स्वयंसिद्धा, विषकन्या, रति विलाप, आकाश

कहानी संग्रह: शिवानी की श्रेष्ठ कहानियाँ, शिवानी की मशहूर कहानियाँ, झरोखा, मृण्माला की हँसी

संस्मरण: अमादेर शांति निकेतन, समृति कलश, वातायन, जालक

यात्रा वृतांत: चरैवैति, यात्रिक

आत्मकथा: सुनहुँ तात यह अमर कहानी

निधन: 21 मार्च 2003

 

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लाल हवेली

ताहिरा ने पास के बर्थ पर सोए अपने पति को देखा और एक लंबी साँस खींचकर करवट बदल ली।

कंबल से ढकी रहमान अली की ऊँची तोंद गाड़ी के झकोलों से रह-रहकर काँप रही थी। अभी तीन घंटे और थे। ताहिरा ने अपनी नाजुक कलाई में बँधी हीरे की जगमगाती घड़ी को कोसा, कमबख़्त कितनी देर में घंटी बजा रही थी। रात-भर एक आँख भी नहीं लगी थी उसकी।

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