जब से हमने अपनी भाषा का समादर करना छोड़ा तभी से हमारा अपमान और अवनति होने लगी। - (राजा) राधिकारमण प्रसाद सिंह।

खलील जिब्रान

खलील जिब्रान का जन्म 6 जनवरी 1883 को लेबनान में हुआ। जिब्रान 12 वर्ष की आयु में अपने परिवार के साथ बोस्टन (अमरीका) जा बसे थे।

खलील जिब्रान अरबी, अंगरेजी व फारसी के ज्ञाता थे। वे दार्शनिक और चित्रकार थे। अपने चिंतन के कारण उन्हें समकालीन पादरियों और अधिकारी वर्ग का कोपभाजन होना पड़ा। उन्हें जाति से बहिष्कृत करके देश निकाला तक दे दिया गया था।

जिब्रान उपन्यास, कहानी, कविता, नाटक व सूक्तियां लिखने के अतिरिक्त चित्रकारी भी करते थे।

1931 में जिब्रान का अमरीका निधन हो गया।

कृतियाँ :

आवारा (The Wanderer), रेत और झाग (Send and Foam), खलील जिब्रान की सर्वश्रेष्ठ कहानियां।

कहानियां: कब्रों का विलाप, अंधेरे में उजाला, नई दुलहिन, दोस्त की वापसी, सवेरे की रोशनी, पागल जान, अद्भुत तथ्य, महाकवि, आत्मज्ञान, पेड़ की कहानी उसी की जुबानी, रंगे हुए गीदड़, वह स्त्री, रोग, अपना-अपना देश, मैं और तुम, विद्रोही आत्माएं, शैतान, गुलामी, आकांक्षी पुष्प, उत्सव, हृदय-रहस्य, गुप्त प्रेम, तूफान, इंसाफ, तीन चीटियां, पवित्र नगर, सदियों की राख, सीरिया का अकाल, मुर्दों के बीच, दुख के गीत, ‘एक आंसू, एक मुस्कान', ‘एक मुस्कान, एक आंसू', कवि की मृत्यु, खंडहरों के बीच, गरुड़ और चकवा, नबी और बालक, सम्राट, दो संरक्षक देवदूत, मेंढ़क, जाद की समर भूमि।

काव्य: एक बहरी महिला, खोज।

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मेजबान

'कभी हमारे घर को भी पवित्र करो।' करूणा से भीगे स्वर में भेड़िये ने भोली-भाली भेड़ से कहा।

'मैं जरूर आती बशर्ते तुम्हारे घर का मतलब तुम्हारा पेट न होता।' भेड़ ने नम्रतापूर्वक जवाब दिया।

खलील जिब्रान

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मूर्ति

दूर पर्वत की तलहटी में एक आदमी रहता था। उसके पास प्राचीन कलाकारों की बनाई हुई एक मूर्ति थी, जो उसके द्वार पर औंधी पड़ी रहती थी। उसे उसका कोई गुण मालूम न था।

एक दिन एक शहरी इधर आ निकला । वह एक पढ़ा-लिखा विद्वान् था। उसने उस मूर्ति को देखकर उसके मालिक से पूछा, "क्या आप इसे बेचेंगे ?"

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तीन चींटियाँ

एक व्यक्ति धूप में गहरी नींद में सो रहा था। तीन चीटियाँ उसकी नाक पर आकर इकट्ठी हुईं। तीनों ने अपनी प्रथा अनुसार एक दूसरे का अभिवादन किया और फिर वार्तालाप करने लगीं।

पहली चीटीं ने कहा, "मैंने इन पहाड़ों और घाटियों से अधिक बंजर जगह और कोई नहीं देखी। मैं यहाँ सारा दिन अन्न ढ़ूँढ़ती रही, किन्तु मुझे एक दाना तक नहीं मिला।"

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शांति और युद्ध

तीन कुत्ते धूप में बैठे गप्प लड़ा रहे थे।

एक कुत्ते ने ऊंघते हुए, दूसरे कुत्ते से कहा, "आज कुत्तों के संसार में रहना भी क्या विलक्षण बात है! देखो तो, हम किस आनंद से बिना झिझक हवा में, पानी में और भूमि पर चल-फिर सकते हैं। और ज़रा इन अविष्कारों पर भी तो विचार करो, जो केवल हमारे आराम के लिए बनाए गए हैं, हमारी नाक, कान और आँख के लिए।"

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लेनदेन

एक आदमी था। उसके पास सुइयों का इतना भण्डार था कि एक घाटी उनसे भर जाए।

एक दिन यीशु की माँ उसके पास आई और बोली, "मित्र! मेरे बेटे के कपड़े फट गए हैं। उसके मंदिर जाने को तैयार होने से पहले मुझे उन्हें सुई से टांकना है। क्या आप मुझे एक सुई देंगे?"

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वेश

एक दिन समुद्र के किनारे सौन्दर्य की देवी की भेंट कुरूपता की देवी से हुई। एक ने दूसरी से कहा, ‘‘आओ, समुद्र में स्नान करें।''

फिर उन्होंने अपने-अपने वस्त्र उतार दिए और समुद्र में तैरने लगीं।

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दो विद्वान

एक बार एक प्राचीन नगर में दो विद्वान रहते थे। दोनों बड़े विद्वान थे लेकिन दोनों के बीच बड़ा मनमुटाव था। वे एक-दूसरे के ज्ञान को कमतर आँकने में लगे रहते।  

उनमें से एक नास्तिक और दूसरा आस्तिक था।

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