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रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड | Profile & Collections

रोहित कुमार 'हैप्पी' न्यूज़ीलैंड में हिंदी न्यू मीडिया के माध्यम से हिंदी भाषा, लेखन व साहित्य के प्रचार-प्रसार हेतु प्रयासरत हैं। रोहित मैस्सी यूनिवर्सिटी, न्यूज़ीलैंड से पत्रकारिता में प्रशिक्षित हैं व इसके अतिरिक्त उन्होंने न्यूज़ीलैंड में इंवेस्टिगेटिव सर्विसिस, ग्राफिक्स व वेब डिवेलपमैंट में भी प्रशिक्षण लिया।
आप मूलत: कैथल (हरियाणा) से सम्बंध रखते हैं और आप कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर हैं। हिंदी में कविता, ग़ज़ल, कहानी और लघु-कथा विधाओं पर लेखन करते हैं।
रोहित न्यूज़ीलैंड से प्रकाशित इंटरनेट पर विश्व की पहली हिंदी पत्रिका, 'भारत-दर्शन' का संपादन व प्रकाशन करते हैं व निरंतर हिंदी-कर्म में अग्रसर हैं। यह पत्रिका 1996 से इंटरनेट पर प्रकाशित हो रही है।
New Zealand Hindi journalist & author
रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड's Collection
Total Records: 112
न्यूज़ीलैंड की हिंदी पत्रकारिता | FAQ
न्यूज़ीलैंड हिंदी पत्रकारिता - बारम्बार पूछे जाने वाले प्रश्न | FAQ
साक्षात्कार | इनसे मिलिए
रोहित कुमार हैप्पी द्वारा विभिन्न व्यक्तित्वों से साक्षात्कारों का संकलन।
अमेरिका में हिंदी सर्वाधिक बोले जाने वाली भारतीय भाषा
अमेरिका जनगणना ब्यूरो ने अमरीका में बोली जाने वाली सभी भाषाओं के आंकड़े जारी किए हैं।
मीना कुमारी की शायरी
दायरा, बैजू बावरा, दो बीघा ज़मीन, परिणीता, साहब बीबी और गुलाम तथा पाक़ीज़ा जैसी सुपरहिट फिल्में देने वाली अभिनेत्री मीना कुमारी को उनके अभिनय के लिए जाना जाता है। मीना कुमारी ने दशकों तक अपने अभिनय का सिक्का जमाए रखा था। 'मीना कुमारी लिखती भी थीं' इस बात का पता मुझे 80 के दशक में शायद 'सारिका' पत्रिका के माध्यम से चला था।
जहां रावण पूजा जाता है
विजयादशमी पर भारतवर्ष में रावण के पुतले जलाने के प्रचलन से तो सभी परिचित हैं। वहीं कुछ स्थान ऐसे भी हैं जहां रावण पूजनीय है। विदिशा से करीब 45 किमी दूर रावण गांव में रावण की 12 फीट लंबी पत्थर की प्रतिमा स्थापित है और यहाँ सदियों से रावण की पूजा-अर्चना होती आ रही है। इस परंपरा का आज भी निर्वाह हो रहा है। दशहरे के अवसर पर तो आसपास के लोग भी इस गांव में आते हैैं। यहाँ रावण को 'रावण' संबोधित न कहकर 'रावण बाबा' पुकारा जाता है।
श्रमिक का गीत
रहा हाड़ ना मास मेराजानूँ हूँ इतिहास तेरा। हम धरती पर तंग हुए देवलोक में वास तेरा। जानूँ हूँ इतिहास तेरा॥ खाऊँ, ओड़ूँ, इसे बिछौऊंकिया बड़ा विश्वास तेरा। जानूँ हूँ इतिहास तेरा॥जो चाहे तू वो मैं बोलूँ ना बंधुआ, ना दास तेरा। जानूँ हूँ इतिहास तेरा॥'रोहित' सुन ले बात ध्यान से वरना हो जाये नास तेरा। जानूँ हूँ इतिहास तेरा॥
हिंदी
हिंदी के कवियों, लेखकों व साहित्यकारों का समारोह चल रहा था। बाहर मेज पर एक पंजीकरण-पुस्तिका रखी थी। जो भी आता उसे उस पुस्तिका में हस्ताक्षर करने थे। सभी आगंतुक ऐसा कर रहे थे। मैं भी पंक्ति में खड़ा था। अपना नम्बर आने पर मैं हस्ताक्षर करने लगा तो पुस्तिका में दर्ज सैंकड़ों हिंदी कवियों, लेखकों व साहित्याकारों के हस्ताक्षरों पर मेरी दृष्टि पड़ी - एक भी हस्ताक्षर हिंदी में नहीं था। हिंदी में रचना करने वाले कवियों, लेखकों व साहित्यकारों का यह कर्म मेरी समझ से परे था।
क्या महात्मा गांधी ने भगत सिंह व अन्य क्रांतिकारियों को बचाने का प्रयास किया था?
क्या महात्मा गांधी ने भगत सिंह व अन्य क्रांतिकारियों को बचाने का प्रयास किया था? उपरोक्त प्रश्न प्राय: समय-समय पर उठता रहा है। बहुत से लोगों का आक्रोश रहता है कि गांधी ने भगत सिंह को बचाने का प्रयास नहीं किया।
गाँधी राष्ट्र-पिता...?
कुछ समय से यह मुद्दा बड़ा चर्चा में है, 'गाँधी को राष्ट्रपिता की उपाधि किसने दी?'
चायवाला
गंगाधरन पहली बार भारत आया था। भारतीय मूल का होने के कारण उसकी भारत में काफी दिलचस्पी थी और वह भारत के बारे में और अधिक जानने के इरादे से ही इस बार छुट्टियों में भारत आ पहुंचा और देहली के किसी पांच सितारा होटल में जा ठहरा था।
कर्त्तव्यनिष्ठ
एक ने फेसबुक पर लिखा -पिताजी बीमार हैं...फिर अस्पताल की उनकी फोटो अपलोड कर दीफेसबुकिया यारों ने भी 'लाइक' मार-मार कर अपनी 'ड्यूटी' पूरी कर दी।
कौनसा हिंदी सम्मेलन?
आजकल दो हिंदी सम्मेलनों का आयोजन होता है। एक है विश्व हिंदी सम्मेलन (World Hindi Conference) और दूसरा है अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन (International Hindi Conference)।अब आप कहेंगे भई, यह दो सम्मेलनों का औचित्य क्या है? यह तो भ्रामक है! आइए, इनके बारे में और अधिक जानकारी ले लें।
कुछ मीठे, कुछ खट्टे अनुभव : 10वां विश्व हिंदी सम्मेलन
विश्व हिंदी सम्मेलन भव्य था। इसकी सराहना भी हुई, विरोध भी, आलोचना भी और जैसा कि होता आया है यह विवादों से परे भी नहीं था।
कलयुग में गर होते राम
अच्छे युग में हुए थे रामकलयुग में गर होते रामबहुत कठिन हो जाते काम!गर दशरथ बनवास सुनातेजाते राम, ना जाने जातेदशरथ वहीं ढेर हो जाते।कलयुग में गर होते राम, बहुत कठिन हो जाते काम!
नये बरस में
नये बरस में कोई बात नयी चल कर लेंतुम ने प्रेम की लिखी है कथायें तो बहुतकिसी बेबस के दिल की 'आह' जाके चल सुन लेंतू अगर साथ चले जाके उसका ग़म हर लेंनये बरस में कोई बात नयी चल कर लें.....
कब लोगे अवतार हमारी धरती पर
फैला है अंधकार हमारी धरती परहर जन है लाचार हमारी धरती परहे देव! धरा है पूछ रही...कब लोगे अवतार हमारी धरती पर !
डिजिटल इंडिया | हास्य-व्यंग
वर्मा जी ने फेसबुक पर स्टेटस लिखा -'Enjoying in Dubai with family!'साथ में...पूरे परिवार का फोटो अपलोड किया था!
हिंदी वेब मीडिया | Web Hindi Journalism
क्या आप जानते हैं - वेब पर हिन्दी प्रकाशन और पत्रकारिता का आरंभ कब और कहाँ से हुआ? इंटरनेट पर हिंदी का पहला प्रकाशन कौनसा था?
विंग कमांडर अभिनंदन
विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान (Wg Cdr V Abhinandan) भारतीय वायुसेना के पायलट हैं। आपका जन्म-दिवस 21 जून को होता है।
खेल का खेल
हार और जीत भोगते हैं तीनों ही - अनाड़ी, जुगाड़ी और खिलाड़ी। अनाड़ी को हारने परआती है शर्म।
सियासत की सराब, जनता की हवा खराब
मार्च, 2019 चल रहा है। इन दिनों भारत में चुनाव प्रचार की धूम मची हुई है। सभी राजनैतिक दल अपनी पूरी शक्ति व सामर्थ्य से चुनाव प्रकार में लगी हुई है।
चुनाव की कहानियाँ
भारत में चुनाव होने जा रहे है। क्या आप जानते हैं कि विश्व का सबसे पहला चुनाव कहाँ हुआ था? 1789 में अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव हुआ जिसमें मतदाताओं ने राज्यवार अपना प्रतिनिधि चुनने के लिए मतदान किया था। इस चुनाव में केवल श्वेत लोग जिनके पास संपत्ति थी, उन्हें वोट देने की अनुमति थी। इस निर्वाचन में जॉर्ज वाशिंगटन ने चुनाव जीता और 30 अप्रैल, 1789 को पद की शपथ ली थी।
हज़ल | हास्य ग़ज़ल
जा तू भी हँसता-बसता रह, अपनी कारगुज़ारी मेंबस मुझको भी खुश रहने दे अपनी चारदीवारी में
शहीद पूछते हैं
भोग रहे जो आज आज़ादीकिसने तुम्हें दिलाई थी?चूमे थे फाँसी के फंदे, किसने गोली खाई थी?
प्रवासी की माँ
(1)"जिंदगी की राहों में रंज-ओ-ग़म के मेले है भीड़ है क़यामत की और हम अकेले है----"रेडियो पर गीत बज रहा है और बूढ़ी हो चली भागवन्ती जैसे किसी सोच में डूबी हुई है। तीन-तीन बेटों वाली इस ‘माँ' को भला कौनसी चिंता सता रही है? भागवन्ती के तीन बेटे हैं। बड़का, मझला और छुटका । बड़का तो शादी होते ही जैसे ससुरालवालों का हो चुका था। उसे माँ की सुध ही कहाँ थी! मझला कई वर्षों से विदेश में बस गया है। छुटका घर में है लेकिन उसकी 'लिवइन रिलेशनशिप' चल रही है। वह होते हुए भी जैसे नहीं है, उसके लिए। भागवन्ती जब भी उदास होती छुटका अगर देख लेता तो पूछता, "क्या बात है, माँ?""कुछ नहीं! बस यूंही मझले की याद आ गई थी।" अपने अकेलेपन की बात भागवन्ती छुपा जाती।"थोड़े दिन मझले भैया के पास बाहर घूम आओ।""इत्ती दूर ! अकेले? ना भैया, ना !" "कहो तो इस बार भइया से बोल दूँ?"भागवन्ती मुसकुरा दी, मुँह से कुछ न बोली। न ‘हाँ' कहा, न ‘ना'।
न्यूज़ीलैंड में उपनगर और स्थलों के भारतीय नाम
'वैलिंगटन के नागरिक और आगंतुक न्यूयॉर्क शहर की तुलना में प्रति व्यक्ति अधिक कैफे, बार और रेस्तरां का आनंद उठाते हैं। 2017 के वैलिंगटन सिटी काउंसिल के आंकड़े पुष्टि करते हैं कि शहर में लगभग 200,000 निवासियों के लिए 850 रेस्तरां, बार और कैफे हैं यानि प्रत्येक 240 लोगों के लिए एक। न्यूयॉर्क शहर में प्रति व्यक्ति दर 340 है।‘ यह तथ्य शायद आप जानते हों लेकिन वैलिंगटन के कई स्थानों के नाम आपको हतप्रभ कर देंगे। राजधानी वैलिंगटन का एक उपनगर है खंडाला। इस उपनगर की गलियों के नाम देखिए - दिल्ली क्रेसेंट, शिमला क्रेसेंट, आगरा क्रेसेंट, मद्रास स्ट्रीट, अमृतसर स्ट्रीट, पूना स्ट्रीट, गोरखा क्रेसेंट, बॉम्बे स्ट्रीट, गंगा रोड, कश्मीरी एवेन्यू, कलकत्ता स्ट्रीट और मांडले टेरेस। यहाँ तक कि आपको ‘गावस्कर प्लेस' भी देखने को मिल जाएगा।
नटखट चिड़िया
चीं-चीं करके गाती चिड़िया सबका मन बहलाती चिड़िया। फुदक-फुदक कर नाचे चिड़िया मुनिया बैठी बाँचे चिड़िया।
चंद्रशेखर आज़ाद | गीत
शत्रुओं के प्राण उन्हें देख सूख जाते थे ज़िस्म जाते काँप, मुँह पीले पड़ जाते थे देश था गुलाम पर 'आज़ाद' वे कहाते थे।
प्रशांत में हिंदी
यूँ तो प्रशांत में अनेक देश, द्वीप और द्वीपीय देश हैं। हम जब 'प्रशांत में हिंदी' की बात करते हैं तो हम न्यूज़ीलैंड, फीजी और ऑस्ट्रेलिया पर केंद्रित हैं। यहाँ इस विषय पर चर्चा करेंगे कि प्रशांत के इन देशों में हिंदी शिक्षण, साहित्य, पत्रकारिता और मनोरंजन के संसाधनों और उपलब्धता की क्या स्थिति है।
रोनाल्ड स्टुअर्ट मेक्ग्रेगॉर - विदेशी हिंदी सेवी
रोनाल्ड स्टुअर्ट मेक्ग्रेगॉर का जन्म न्यूजीलैंड में 1929 में हुआ था। मेक्ग्रेगॉर के माता-पिता स्कॉटिश थे। बचपन में मेक्ग्रेगॉर को किसी ने फीजी से प्रकाशित हिंदी व्याकरण की एक पुस्तक भेंट की थी। इसी के फलस्वरूप उनका हिंदी की ओर रूझान हो गया।