हिंदी का पौधा दक्षिणवालों ने त्याग से सींचा है। - शंकरराव कप्पीकेरी

केदारनाथ अग्रवाल | Kedarnath Agarwal | Profile & Collections

केदारनाथ अग्रवाल का जन्म 1 अप्रैल 1911 बाँदा जिले के कमासिन ग्राम में हुआ। जीविका से वकील श्री अग्रवाल छायावादी युग के मूर्धन्य प्रगतिवादी कवि थे। अनूठा शब्दचयन और भावाभिव्यक्ति में चित्रात्मकता इनकी विशेषता है।

'युग की गंगा', 'नींद के बादल', 'लोक और आलोक', 'फूल नहीं रंग बोलते हैं', 'आग का आईना', 'गुलमेहँदी', 'पंख और पतवार', 'हे मेरी तुम' और 'अपूर्वा' इनके मुख्य काव्य-संग्रह हैं। इनके कई निबंध-संग्रह भी प्रकाशित हैं। ये साहित्य अकादमी तथा 'सोवियत लैंड नेहरू' पुरस्कार से सम्मानित हुए।

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केदारनाथ अग्रवाल | Kedarnath Agarwal's Collection

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वीरांगना

मैंने उसकोजब-जब देखा,लोहा देखा।लोहे जैसातपते देखा, गलते देखा, ढलते देखामैंने उसकोगोली जैसा चलते देखा।

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महाकवि रवीन्द्रनाथ के प्रति

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