मीराबाई साहित्य Hindi Literature Collections of Meerabai

कुल रचनाएँ: 17

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अब तो हरि नाम लौ लागी | पद

अब तो हरि नाम लौ लागी
सब जग को यह माखनचोर, नाम धर्यो बैरागी।
कहं छोडी वह मोहन मुरली, कहं छोडि सब गोपी।

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राम रतन धन पायो | मीराबाई के पद

राम रतन धन पायो
पायो जी म्हे तो रामरतन धन पायो।
बस्तु अमोलक दी म्हारे सतगुरु, किरपा को अपणायो।

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फागुन के दिन चार

फागुन के दिन चार होली खेल मना रे॥
बिन करताल पखावज बाजै अणहदकी झणकार रे।
बिन सुर राग छतीसूं गावै रोम रोम रणकार रे॥

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हरि बिन कछू न सुहावै | मीरा के पद

हरि बिन कछू न सुहावै
परम सनेही राम की नीति ओलूंरी आवै।
राम म्हारे हम हैं राम के, हरि बिन कछू न सुहावै।

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झूठी जगमग जोति | मीरा के पद

झूठी जगमग जोति
आवो सहेल्या रली करां हे, पर घर गावण निवारि।
झूठा माणिक मोतिया री, झूठी जगमग जोति।

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अब तो मेरा राम | मीरा के पद

अब तो मेरा राम
अब तो मेरा राम नाम दूसरा न कोई॥
माता छोडी पिता छोडे छोडे सगा भाई।

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म्हारे तो गिरधर गोपाल | मीरा के पद

म्हारे तो गिरधर गोपाल
म्हारे तो गिरधर गोपाल दूसरो न कोई॥
जाके सिर मोर मुगट मेरो पति सोई।

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रंग भरी राग | मीरा के पद

रंग भरी राग भरी रागसूं भरी री।
होली खेल्यां स्याम संग रंग सूं भरी, री।।
उडत गुलाल लाल बादला रो रंग लाल।

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चलो मन गंगा-जमना-तीर

गंगा-जमना निरमळ पाणी सीतल होत सरीर ।
बंसी बजावत गावत कान्हो संग लियाँ बळ बीर ।।
मोर मुगट पीतांबर सोहै कुण्डळ झळकत हीर ।

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मेरो दरद न जाणै कोय

हे री मैं तो प्रेम-दिवानी मेरो दरद न जाणै कोय।
घायल की गति घायल जाणै जो कोई घायल होय।
जौहरि की गति जौहरी जाणै की जिन जौहर होय।

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फागुन के दिन चार | मीरा के पद

फागुन के दिन चार होली खेल मना रे॥
बिन करताल पखावज बाजै अणहदकी झणकार रे।
बिन सुर राग छतीसूं गावै रोम रोम रणकार रे॥

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श्याम पिया मोरी रंग दे चुनरिया

श्याम पिया मोरी रंग दे चुनरिया ।। टेर ।।
ऐसी वो रंग दे रंग नाई छूटे,
धोबनिया धोये चाहे सारी उमरिया।

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होरी खेलत हैं गिरधारी

होरी खेलत हैं गिरधारी।
मुरली चंग बजत डफ न्यारो।
संग जुबती ब्रजनारी॥

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मीरा के पद - Meera Ke Pad

दरद न जाण्यां कोय
हेरी म्हां दरदे दिवाणी म्हारां दरद न जाण्यां कोय।
घायल री गत घाइल जाण्यां, हिवडो अगण संजोय।

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मीरा के पद - Meera Ke Pad

अब तो हरि नाम लौ लागी
सब जग को यह माखनचोर, नाम धर्यो बैरागी।
कहं छोडी वह मोहन मुरली, कहं छोडि सब गोपी।

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मीरा के होली पद

फागुन के दिन चार होली खेल मना रे॥
बिन करताल पखावज बाजै अणहदकी झणकार रे।
बिन सुर राग छतीसूं गावै रोम रोम रणकार रे॥

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मीरा के भजन

मीरा के भजनों का संग्रह।

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मीराबाई का जीवन परिचय