वृन्दावन गया था। बाँके बिहारी के दर्शन करने के पश्चात् मन में आया कि यमुना के पवित्र जल में भी डुबकी लगाता चलूँ। पवित्र नदियों में स्नान करने का अवसर रोज-रोज थोड़े ही मिलता है।
यमुना के घाट सुनसान से थे। हाँ, बन्दरों की सेना अवश्य अपनी इच्छानुसार वहाँ विचरण कर रही थी। सीढ़ियाँ और बारादरियाँ टूटी...
पूरा पढ़ें...