चेक बुक हो पीली या लाल, दाम सिक्के हों या शोहरत -- कह दो उनसे
मैं क्या जिया ? मुझको जीवन ने जिया - बूँद-बूँद कर पिया, मुझको
उत्तर नहीं हूँ मैं प्रश्न हूँ तुम्हारा ही! नये-नये शब्दों में तुमने
दुख आया घुट-घुट कर मन-मन मैं खीज गया
...क्योंकि सपना है अभी भी इसलिए तलवार टूटी अश्व घायल कोहरे डूबी दिशाएं
‘‘ऐ मर कलमुँहे !' अकस्मात् घेघा बुआ ने कूड़ा फेंकने के लिए दरवाजा खोला और चौतरे पर बैठे मिरवा को गाते हुए देखकर कहा, ‘‘तोरे पेट में फोनोगिराफ उलियान ?...
जिस दिन अपनी हर आस्था तिनके-सी टूटे जिस दिन अपने अन्तरतम के विश्वास सभी निकले झूठे ! उस दिन