रघुवीर सहाय | Raghuvir Sahay साहित्य Hindi Literature Collections

कुल रचनाएँ: 5

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आपकी हँसी

निर्धन जनता का शोषण है कह कर आप हँसे लोकतंत्र का अंतिम क्षण है कह कर आप हँसे सबके सब हैं भ्रष्टाचारी कह कर आप हँसे चारों ओर बड़ी लाचारी कह कर आप हँसे कितने आप सुरक्षित होंगे मैं सोचने लगा सहसा मुझे अकेला पा कर फिर से आप हँसे
- रघुवीर सहाय[साभार - हँसो हँसो जल्दी हँसो]
 

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राष्ट्रगीत में भला कौन वह

राष्ट्रगीत में भला कौन वहभारत-भाग्य विधाता हैफटा सुथन्ना पहने जिसकागुन हरचरना गाता है।मख़मल टमटम बल्लम तुरहीपगड़ी छत्र चंवर के साथतोप छुड़ाकर ढोल बजाकरजय-जय कौन कराता है।पूरब-पच्छिम से आते हैंनंगे-बूचे नरकंकालसिंहासन पर बैठा, उनकेतमगे कौन लगाता है।कौन-कौन है वह जन-गण-मन-अधिनायक वह महाबलीडरा हुआ म...

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तोड़ो

तोड़ो तोड़ो तोड़ोये पत्थर ये चट्टानेंये झूठे बंधन टूटेंतो धरती को हम जानेंसुनते हैं मिट्टी में रस है जिससे उगती दूब हैअपने मन के मैदानों पर व्यापी कैसी ऊब हैआधे आधे गाने
तोड़ो तोड़ो तोड़ोये ऊसर बंजर तोड़ोये चरती परती तोड़ोसब खेत बनाकर छोड़ोमिट्टी में रस होगा ही जब वह पोसेगी बीज कोहम इसको क्या कर...

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हमारी हिंदी

हमारी हिंदी एक दुहाजू की नई बीवी हैबहुत बोलनेवाली बहुत खानेवाली बहुत सोनेवाली
गहने गढ़ाते जाओसर पर चढ़ाते जाओ
वह मुटाती जाएपसीने से गंधाती जाए घर का माल मैके पहुँचाती जाए
पड़ोसिनों से जलेकचरा फेंकने को ले कर लड़े
घर से तो खैर निकलने का सवाल ही नहीं उठताऔरतों को जो चाहिए घर ही में है
एक महाभा...

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नैतिकता का बोध

एक यात्री ने दूसरे से कहा, "भाई जरा हमको भी बैठने दो।"
दूसरे ने कहा, "नहीं! मैं आराम करूंगा। "पहला आदमी खड़ा रहा। उसे जगह नहीं मिली, पर वह चुपचाप रहा।
दूसरा आदमी बैठा रहा और देखता रहा। बड़ी देर तक वह उसे खड़े हुए देखता रहा। अचानक उसने उठकर जगह कर दी और कहा, "भाई अब मुझसे बर्दाश्त नहीं होता। आप ...

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रघुवीर सहाय | Raghuvir Sahay का जीवन परिचय