रघुवीर सहाय | Raghuvir Sahay साहित्य Hindi Literature Collections

कुल रचनाएँ: 5

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तोड़ो

तोड़ो तोड़ो तोड़ो
ये पत्थर ये चट्टानें
ये झूठे बंधन टूटें

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नैतिकता का बोध

एक यात्री ने दूसरे से कहा, "भाई जरा हमको भी बैठने दो।"
दूसरे ने कहा, "नहीं! मैं आराम करूंगा। "पहला आदमी खड़ा रहा। उसे जगह नहीं मिली, पर वह चुपचाप रहा।
दूसरा आदम...

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आपकी हँसी

निर्धन जनता का शोषण है
कह कर आप हँसे
लोकतंत्र का अंतिम क्षण है

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हमारी हिंदी

हमारी हिंदी एक दुहाजू की नई बीवी है
बहुत बोलनेवाली बहुत खानेवाली बहुत सोनेवाली
गहने गढ़ाते जाओ

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राष्ट्रगीत में भला कौन वह

राष्ट्रगीत में भला कौन वह
भारत-भाग्य विधाता है
फटा सुथन्ना पहने जिसका

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रघुवीर सहाय | Raghuvir Sahay का जीवन परिचय