तोड़ो तोड़ो तोड़ो ये पत्थर ये चट्टानें ये झूठे बंधन टूटें
एक यात्री ने दूसरे से कहा, "भाई जरा हमको भी बैठने दो।" दूसरे ने कहा, "नहीं! मैं आराम करूंगा। "पहला आदमी खड़ा रहा। उसे जगह नहीं मिली, पर वह चुपचाप रहा। दूसरा आदम...
निर्धन जनता का शोषण है कह कर आप हँसे लोकतंत्र का अंतिम क्षण है
हमारी हिंदी एक दुहाजू की नई बीवी है बहुत बोलनेवाली बहुत खानेवाली बहुत सोनेवाली गहने गढ़ाते जाओ
राष्ट्रगीत में भला कौन वह भारत-भाग्य विधाता है फटा सुथन्ना पहने जिसका