जयप्रकाश मानस | Jaiprakash Manas साहित्य Hindi Literature Collections

कुल रचनाएँ: 10

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स्कूल में लग जाये ताला | बाल कविता

अब से ऐसा ही हो जाये भले किसी को पसंद न आये ... स्कूल में लग जाये ताला दें बस्तों को देश निकाला होमवर्क जुर्म घोषित हो, कोई परीक्षा ले न पाये ... दिन भर केवल खेलें खेल जो डाँटे उसको हो जेल खट्टा-मीठा खारा-तीता, जो चाहे जैसा वह खाये ... हरदम चले हमारी सत्ता हो दिल्ली चाहे कलकत्ता हम मालिक अपनी ...

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कुछ झूठ बोलना सीखो कविता!

कविते!कुछ फरेब करना सिखाओ कुछ चुप रहनावरना तुम्हारे कदमों पर चलनेवाला कवि मार दिया जाएगा खामखांमहत्वपूर्ण यह भी नहीं कि तुम उसे जीवन देती हो
अमरत्व भीपर मरने के बाद
कविता फिलहाल उसेतुम जरा-सा झूठ दे दोताकि किसी तरह वह बच जाए
जब बचा ही नहीं रहेगा कवितो कविता के साथ कौन आना पसंद करेगा!
- जयप्रक...

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एक अदद घर

जब माँनींव की तरह बिछ जाती है पितातने रहते हैं हरदम छत बनकर भाई सभीउठा लेते हैं स्तम्भों की मानिंद बहनहवा और अंजोर बटोर लेती है जैसे झरोखा बहुएँमौसमी आघात से बचाने तब्दील हो जाती हैं दीवाल में तबनई पीढ़ी के बच्चेखिलखिला उठते हैं आँगन-साआँगन में खिले किसी बारहमासी फूल-सा तभी गमक-गमक उठता हैएक अदद घ...

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नया साल आया

नया साल आयास्वागत में मौसम नेनया गीत गायाडाल-डाल झुकी हुईमहक उठे फूल-फूलपवन संग पत्ते भीदेखो रहे झूल झूलईर्ष्या को त्याग देंसबको अनुराग देंसुख-दुख में साथ रहेंहाथों में हाथ में देंआओ नए साल मेंगीत नया गाएंदया प्रेम करुणा कोजी भर अपनाएं ।।
-जयप्रकाश मानस [जयप्रकाश मानस की बाल कविताएं]
 

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खौफ़

जाने-पहचाने पेड़ सेफल के बजाय टपक पड़ता है बम काक-भगोड़ा राक्षस से कहीं ज्यादा खतरनाक
अपना ही साया पीछा करता दीखता किसी पागल हत्यारे की तरहनर्म सपनों को रौंद-रौंद जाती हैं कुशंकाएँवालहैंगिंग की बिल्ली तब्दील होने लगती है बाघ में
इसके बावजूददूर-दूर तक नहीं होता कोई शत्रु वही आदमी मरने लगता हैजब ...

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अंततः

बाहर से लहूलुहान आया घरमार डाला गया अंततः
-जयप्रकाश मानस [ अबोले के विरुद्ध, शिल्पायन प्रकाशन, दिल्ली ]

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जयप्रकाश मानस की दो बाल-कविताएं

एक बनेंगे
हम हैं बच्चे मन के सच्चे आगे कदम बढ़ाएंगे, भूले भटके राह में अटके सबको राह दिखाएंगे नहीं लड़ेंगे एक बनेंगेमिलकर 'जन गण' गाएंगे नहीं डरेंगेटूट पड़ेंगेन संकट से घबराएंगे।
-जयप्रकाश मानस
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गिनकर तो दिखाओ
खेत-खार में कितने मेड़ इस जंगल में कितने पेड़ठीक-ठीक बताओ गिनकर तो दिखाओ।
सूरज म...

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पंछी का मन दुखता | बाल-कविता

कुआं है गांव मेंकुएं में घटता पानी।सोचकर मछली कोहै बड़ी हैरानी।
घास है जंगल मेंघास भी मुरझाई।सोचकर गायों कीआँखें भर आईं।
पेड़ है पर्वत मेंपेड़ भी लो सूखता।सोचकर पंछी कामन बहुत दुखता।
-- जयप्रकाश मानस
[जयप्रकाश मानस की बाल कविताएं, यश पब्लिशर्स एंड डिस्ट्रीब्यूटर्स दिल्ली]
 
 

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जंगल में पढ़ाई | बाल-कविता

एक दिन सभी पंछी ने सोचाहम भी करें पढ़ाई।सुख-दुःख की कथा बांच लेंबूझें शब्द अढ़ाई।
मोर पपीहा सुग्गा मैनातीतर बटेर भी आए।बरगद पर लग गई शाला"अ" से अनार गाए।
सबसे बुद्धिमान समझकौआ को चुना गुरुजी।जोड़-घटाव, गुणा-भाग कीकक्षा की गई शुरू जी।।
-- जयप्रकाश मानस
[जयप्रकाश मानस की बाल कविताएं, यश पब्लिशर...

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उपस्थिति

व्याकरणाचार्यों से दीक्षा लेकर नहीं कोशकारों के चेले बनकर भी नहीं इतिहास से भीख माँगकर तो कतई नहीं
नए शब्दों के लिए नापनी होंगी दिशाएँ फाँकने पड़ेंगे धूल सहने पड़ेंगे शूल
अभीनिहायत अपरिचित, उदास, एकाकी शब्दों की उपस्थितिनहीं हुई है कविता में
अभी पराजय की घोषणा न क...

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जयप्रकाश मानस | Jaiprakash Manas का जीवन परिचय