अब से ऐसा ही हो जाये भले किसी को पसंद न आये ... स्कूल में लग जाये ताला
कविते! कुछ फरेब करना सिखाओ कुछ चुप रहना वरना तुम्हारे कदमों पर चलनेवाला कवि मार दिया जाएगा खामखां
जब माँ नींव की तरह बिछ जाती है
नया साल आया स्वागत में मौसम ने नया गीत गाया
जाने-पहचाने पेड़ से फल के बजाय टपक पड़ता है बम काक-भगोड़ा राक्षस से कहीं ज्यादा खतरनाक
बाहर से लहूलुहान आया घर मार डाला गया
एक बनेंगे हम हैं बच्चे मन के सच्चे
कुआं है गांव में कुएं में घटता पानी। सोचकर मछली को
एक दिन सभी पंछी ने सोचा हम भी करें पढ़ाई। सुख-दुःख की कथा बांच लें
व्याकरणाचार्यों से दीक्षा लेकर नहीं कोशकारों के चेले बनकर भी नहीं इतिहास से भीख माँगकर तो कतई नहीं