गिरिजाकुमार माथुर | Girija Kumar Mathur साहित्य Hindi Literature Collections

कुल रचनाएँ: 3

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हिंदी जन की बोली है

एक डोर में सबको जो है बाँधतीवह हिंदी है,हर भाषा को सगी बहन जो मानतीवह हिंदी है।भरी-पूरी हों सभी बोलियांयही कामना हिंदी है,गहरी हो पहचान आपसीयही साधना हिंदी है,सौत विदेशी रहे न रानीयही भावना हिंदी है।
तत्सम, तद्भव, देश विदेशीसब रंगों को अपनाती,जैसे आप बोलना चाहेंवही मधुर, वह मन भाती,नए अर्थ के रू...

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पन्‍द्रह अगस्‍त

आज जीत की रातपहरुए, सावधान रहना!खुले देश के द्वारअचल दीपक समान रहना।
प्रथम चरण है नए स्‍वर्ग काहै मंज़िल का छोरइस जन-मन्‍थन से उठ आईपहली रत्‍न हिलोरअभी शेष है पूरी होनाजीवन मुक्‍ता डोरक्‍योंकि नहीं मिट पाई दुख कीविगत साँवली कोर
ले युग की पतवारबने अम्‍बुधि महान रहनापहरुए,...

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हम होंगे कामयाब

हम होंगे कामयाब, हम होंगे कामयाबहम होंगे कामयाब एक दिन ओ हो मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास,हम होंगे कामयाब एक दिन॥
हम चलेंगे साथ-साथ, डाल हाथों में हाथहम चलेंगे साथ-साथ एक दिनओ हो, मन में है विश्वास, पूरा है विश्वासहम चलेंगे साथ-साथ एक दिन॥
होगी शांति चारों ओर, होगी शांति चारों ओरहोगी शांति...

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गिरिजाकुमार माथुर | Girija Kumar Mathur का जीवन परिचय