एक डोर में सबको जो है बाँधतीवह हिंदी है,हर भाषा को सगी बहन जो मानतीवह हिंदी है।भरी-पूरी हों सभी बोलियांयही कामना हिंदी है,गहरी हो पहचान आपसीयही साधना हिंदी है,सौत विदेशी रहे न रानीयही भावना हिंदी है।
तत्सम, तद्भव, देश विदेशीसब रंगों को अपनाती,जैसे आप बोलना चाहेंवही मधुर, वह मन भाती,नए अर्थ के रू...
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