शरद जोशी | Sharad Joshi साहित्य Hindi Literature Collections

कुल रचनाएँ: 10

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चाचा का ट्रक और हिंदी साहित्य

अभी-अभी एक ट्रक के नामकरण समारोह से लौटा हूं। मेरे एक रिश्तेदार ने जिनका हमारे घर पर काफी दबदबा है, कुछ दिन हुए एक ट्रक खरीदा है। उसका नाम रखने के लिए मुझे बुलाया था। एक लड़का, जो अपने आपको बहुत बड़ा आर्टिस्ट मानता था, जिसका पैंट छोटा था, मगर बाल काफी लंबे थे, रंग और ब्रश लिए पहले से वहां बैठा था...

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अतिथि! तुम कब जाओगे

तुम्हारे आने के चौथे दिन, बार-बार यह प्रश्न मेरे मन में उमड़ रहा है, तुम कब जाओगे अतिथि! तुम कब घर से निकलोगे मेरे मेहमान!
तुम जिस सोफे पर टाँगें पसारे बैठे हो, उसके ठीक सामने एक कैलेंडर लगा है जिसकी फड़फड़ाती तारीखें मैं तुम्हें रोज दिखा कर बदल रहा हूँ। यह मेहमाननवाजी का चौथा दिन है, मगर तुम्हा...

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क्रमशः प्रगति

खरगोश का एक जोड़ा था, जिनके पाँच बच्चे थे।
एक दिन भेड़िया जीप में बैठकर आया और बोला - "असामाजिक तत्वों तुम्हें पता नहीं सरकार ने तीन बच्चों का लक्ष्य रखा है।" और दो बच्चे कम करके चला गया।
कुछ दिनों बाद भेड़िया फिर आया और बोला कि सरकार ने लक्ष्य बदल दिया और एक बच्चे को और कम कर चला गया। खरगोश के...

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चिड़िया | कविता

'च' ने चिड़िया पर कविता लिखी। उसे देख 'छ' और 'ज' ने चिड़िया पर कविता लिखी। तब त, थ, द, ध, न, ने फिर प, फ, ब, भ और म, ने 'य' ने, 'र' ने, 'ल' ने इस तरह युवा कविता की बारहखड़ी के सारे सदस्यों ने चिड़िया पर कविता लिखी। 
चिड़िया बेचारी परेशान उड़े तो कविता ...

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हम भ्रष्टन के भ्रष्ट हमारे

देश के आर्थिक नन्दन कानन में कैसी क्यारियाँ पनपी-सँवरी हैं भ्रष्टाचार की, दिन-दूनी रात चौगुनी। कितनी डाल कितने पत्ते, कितने फूल और लुक छिपकर आती कैसी मदमाती सुगन्ध। यह मिट्टी बड़ी उर्वरा है, शस्य श्यामल, काले करमों के लिए। दफ्तर दफ्तर नर्सरियाँ हैं और बड़े बाग़ जिनके निगहबान बाबू, सुपरिनटेंडेड डा...

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जिसके हम मामा हैं

एक सज्जन बनारस पहुँचे। स्टेशन पर उतरे ही थे कि एक लड़का दौड़ता आता।‘‘मामाजी ! मामाजी !''-लड़के ने लपक कर चरण छूए।
वे पहचाते नहीं। बोले-‘‘तुम कौन ?''
‘‘मैं मुन्ना। आप पहचाने नहीं मुझे ?''
‘‘मुन्ना ?'' वे सोचने लगे।‘‘हाँ, मुन्ना। भूल गय...

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कर्तव्यबोध

दोपहर के ढाई बज रहे थे।
अभिमन्यु ने धीरे से घर का दरवाजा खटखटाया। उत्तरा ने दरवाजा खोला।
"हाय तुम इस वक्त कैसे? तुम्हें तो अभी चक्रव्यूह में फंसा होना चाहिए था।" उत्तरा ने उसे देख आश्चर्य से कहा।
"अभिमन्यु ने ऑंख मारी और धीरे से कहा, "थोड़ी मार कर आया हूँ ।"
- शरद जोशी
 

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चौथा बंदर - शरद जोशी

एक बार कुछ पत्रकार और फोटोग्राफर गांधी जी के आश्रम में पहुंचे। वहां उन्होंने देखा कि गांधी जी के तीन बंदर हैं। एक आंख बंद किए है, दूसरा कान बंद किए है, तीसरा मुंह बंद किए है। एक बुराई नहीं देखता, दूसरा बुराई नहीं सुनता और तीसरा बुराई नहीं बोलता। पत्रकारों को स्टोरी मिली, फोटोग्राफरों ने तस्वीरें ...

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1968-69 के वे दिन


(यह लेख सौ वर्ष बाद छपने के लिए है)

आज से सौ वर्ष पहले अर्थात 1969 के वर्ष में सामान्‍य व्‍यक्ति का जीवन इतना कठिन नहीं था जितना आज है। न ऐसी महँगाई थी और न रुपयों की इतनी किल्‍लत। सौ वर्ष पूर्व यानी लगभग 1968 से 1969 के काल की आर्थिक स्थिति संबंधी जो सामग्री आज उपलब्‍ध है ...

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सरकार का जादू : जादू की सरकार | व्यंग्य

जादूगर मंच पर आकर खड़ा हो गया। वह एयर इंडिया के राजा की तरह झुका और बोला, ''देवियो और सज्जनो, हम जो प्रोग्राम आपके सामने पेश करने जा रहे हैं, वह इस मुलुक का, इस देश का प्रोग्राम है जो बरसों से चल रहा है और मशहूर है। आप इसे देखिए और हमें अपना आशीर्वाद दीजिए।" इतना कहकर जादूगर ने झटके से सिर उठाया ...

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शरद जोशी | Sharad Joshi का जीवन परिचय