मुंशी प्रेमचंद बड़े शांत स्वभाव के व्यक्ति थे। उन्हें कभी क्रोध नहीं आता था, लेकिन एक बार उन्हें किसी पर गुस्सा आ गया और वह बोले, "क्या कहूँ, मैं आपको एक शर?...
गांधीजी के अंतिम दिन का कई लेखकों ने विवरण लिखा है। यहाँ हम सभी उपलब्ध विवरणों को संकलित करेंगे। इन विवरणों में प्यारेलाल, स्टीफन मर्फी, वी कल्याणम के वि?...
30 जनवरी 1948 का दिन गांधीजी के लिए हमेशा की तरह व्यस्तता से भरा था। प्रात: 3.30 को उठकर उन्होंने अपने साथियों मनु बेन, आभा बेन और बृजकृष्ण को उठाया। दैनिक क्रिया...
सुभाषबाबू हिन्दी पढ़ लिख सकते थे, बोल सकते थे मगर वह इसमें बराबर हिचकते और कमी महसूस करते थे। वह चाहते थे कि हिन्दी में वह हिन्दी भाषी लोगों की तरह ही सब का...
महात्मा गांधी की मातृभाषा यद्यपि गुजराती थी तथापि वे भारतीय स्वतंत्रता-संग्राम में जनसंपर्क हेतु हिन्दी को ही सर्वाधिक उपयुक्त भाषा मानते थे।
सन् 1917 ई. ...
प्रो. मनोरंजन जी, एम. ए, काशी विश्वविद्यालय की यह रचना लाहौर से प्रकाशित 'खरी बात' में 1935 में प्रकाशित हुई थी।
कह दो पुकार कर, सुन ले दुनिया सारी।
हम हिंद-तनय ह...
भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्म 2 अक्टूबर, 1904 को मुगलसराय, उत्तर प्रदेश के एक सामान्य निम्नवर्गीय परिवार में हुआ था। आपका वास्तविक नाम ल?...
छह-सात वर्ष का एक बालक अपने साथियों के साथ एक बगीचे में फूल तोड़ने के लिए गया। तभी बगीचे का माली आ पहुँचा। अन्य साथी भागने में सफल हो गए, लेकिन सबसे छोटा और ...
गांधी जी के बारे में कुछ तथ्य:
12 जनवरी 1918 को गांधी द्वारा लिखे एक पत्र में रबीन्द्रनाथ टैगोर को ‘‘गुरुदेव'' संबोधित किया गया था।
टैगोर ने 12 अप्रैल 1919 को लि...
इन पृष्ठों में भगतसिंह पर लिखी काव्य रचनाओं को संकलित करने का प्रयास किया जा रहा है। विश्वास है आपको सामग्री पठनीय लगेगी।
रंग दे बसंती चोला गीत का इतिहा?...
आठ अक्तूबर । सुबह हुई। जाडे की सुबह । सात-साढ़े सात का वक्त होगा ।
मुँह धुलाने के लिए शिवरानी गरम पानी लेकर आयी। मुंशीजी ने दाँत माँजने के लिए खरिया मिट्ट?...
'वन्देमातरम्' बंकिम चन्द्र चटर्जी द्वारा संस्कृत में रचा गया; यह स्वतंत्रता की लड़ाई में भारतीयों के लिए प्रेरणा का स्रोत था। इसका स्थान हमारे ...
एक बार कन्हैयालाल मिश्र 'प्रभाकर' मुंशी प्रेमचंद से पूछ बैठे, "मुंशीजी आप कैसे कागज़ पर और कैसे 'पेन' से लिखते हैं?"
प्रेमचंद ज़ोर से हँसे और उत्तर दिया, "ऐसे ?...
एक बहुत भोला-भाला खरगोश था। उसके बहुत से जानवर मित्र थे। उसे आशा थी कि वक्त पड़ने पर मेरे काम आएँगे।
एक दिन शिकारी कुत्ते उसके पीछे पड़ गए। वह दौड़ता हुआ ?...
कहा जाता है कि रहीम दान देते समय ऑंखें उठाकर ऊपर नहीं देखते थे। याचक के रूप में आए लोगों को बिना देखे वे दान देते थे। अकबर के दरबारी कवियों में महाकवि गंग प...
कुंभनदास जी गोस्वामी वल्लभाचार्य के शिष्य थे। इनकी गणना अष्टछाप में थी। एक बार इन्हें अकबर के आदेश पर फतेहपुर सीकरी हाजिर होना पड़ा।
अकबर ने इनका यथेष्?...
एक माओरी कहावत है, ‘E tino mōhio ai te tāngata ki te tāngata me mōhio anō ki te reo me ngā tikanga taua tāngata.’ -- लोगों को अच्छी तरह से जानने के लिए, उनकी भाषा और रीति-रिवाजों को जानना आवश्यक है। तभी हमें ल...