भगत सिंह साहित्य Hindi Literature Collections

कुल रचनाएँ: 6

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मैं नास्तिक क्यों हूँ? - भाग 2

न्यायशास्त्र के सर्वाधिक प्रसिद्ध विद्वानों के अनुसार, दंड को अपराधी पर पड़ने वाले असर के आधार पर, केवल तीन-चार कारणों से उचित ठहराया जा सकता है। वे हैं प...

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मैं नास्तिक क्यों हूँ?

एक नई समस्‍या उठ खड़ी हुई है - क्‍या मैं किसी अहंकार के कारण सर्वशक्तिमान सर्वव्‍यापी तथा सर्वज्ञानी ईश्‍वर के अस्तित्‍व पर विश्‍वास नहीं करता हूँ? ...

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मैं नास्तिक क्यों हूँ? | भाग-2

न्यायशास्त्र के सर्वाधिक प्रसिद्ध विद्वानों के अनुसार, दंड को अपराधी पर पड़ने वाले असर के आधार पर, केवल तीन-चार कारणों से उचित ठहराया जा सकता है। वे हैं प...

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भगतसिंह का बचपन

कहते हैं ‘पूत के पांव पालने में ही दिखाई पड़ जाते हैं'।
पांच वर्ष की बाल अवस्था में ही भगतसिंह के खेल भी अनोखे थे। वह अपने साथियों को दो टोलियों में बांट ?...

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मैं नास्तिक क्यों हूँ

'मैं नास्तिक क्यों हूँ ?'  यह आलेख भगत सिंह ने जेल में रहते हुए लिखा था जो लाहौर से प्रकाशित समाचारपत्र "द पीपल" में 27 सितम्बर 1931 के अंक में प्रकाशित हुआ था। ?...

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उसे यह फ़िक्र है हरदम

उसे यह फ़िक्र है हरदम,
नया तर्जे-जफ़ा क्या है?
हमें यह शौक देखें,

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भगत सिंह का जीवन परिचय