नगर का नाम नहीं बताता। जिनकी चर्चा कर रहा हूँ, वे हिंदी के बड़े प्रसिद्ध लेखक और समालोचक। शरीर सम्पति काफी क्षीण। रूप कभी आकर्षक न रहा होगा। जब का जिक्र है, तब वे 40 पार कर चुके थे। बिन ब्याहे थे।
एक दिन पार्क में बड़े अनमने बैठे थे। एक मित्र आये। पूछा," क्यों, कैसे अनमने बैठे हो?"
"भई, मुझे छे...
पूरा पढ़ें...