सुब्रह्मण्य भारती | Subramania Bharati साहित्य Hindi Literature Collections

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अर्जुन का संदेह

हस्तिनापुर मैं गुरु द्रोणाचार्य के पास पांडुपुत्र और दुर्योधन आदि विद्या अध्ययन कर रहे थे, तब की बात है। एक दिन संध्याकालीन बेला में वे लोग शुद्ध वायु का सेवन कर रहे थे तभी अर्जुन ने कर्ण से प्रश्न किया, "हे कर्ण! बताओ, युद्ध श्रैष्ठ है या शांति?"(यह महाभारत की एक उपकथा है। प्रामाणिक है। कपोल-कल्...

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सब शत्रुभाव मिट जाएँगे

भारत देश नाम भयहारी, जन-जन इसको गाएँगे।सब शत्रुभाव मिट जाएँगे।।
विचरण होगा हिमाच्छन्न शीतल प्रदेश में,पोत संतरण विस्तृत सागर की छाती पर।होगा नव-निर्माण सब कहीं देवालय का-पावनतम भारतभू की उदार माटी पर।यह भारत है देश हमारा कहकर मोद मनाएँगे।सब शत्रुभाव मिट जाएँगे।।1।।
हम सेतुबंध ऊँचा कर मार्ग बनाए...

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वंदे मातरम्‌

जय भारत, जय वंदे मातरम्‌॥जय-जय भारत जय-जय भारत, जय-जय भारत, वंदे मातरम्‌।जय भारत, जय वंदे मातरम्‌।।
एक वाक्य है केवल, जिसको दुहराना है,आर्यभूमि की आर्य नारियों नर सूर्यों को : वंदे मातरम्‌।जय भारत, जय वंदे मातरम्‌।।
एक वाक्य है केवल, जिसको दुहराना है,घुट-घुटकर मरते भी अ...

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नमन करें इस देश को

इसी देश में मातु-पिता जनमे पाए आनंद अपार,और हजारों बरसों तक पूर्वज भी जीते रहे--अमित भाव फूले-फले जिनके चिंतन में यहीं।मुक्त कंठ से वंदना और प्रशंसा हम करें--कहकर वंदे मातरम्, नमन करें इस देश को ॥1॥
इसी देश में जीवन पाया, हमको बौद्धिक शक्ति मिली,माताओं ने सुख लूटा है, जीवन का वात्सल्य भरे--मोद म...

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सुब्रह्मण्य भारती | Subramania Bharati का जीवन परिचय