डॉ. जगदीश व्योम साहित्य Hindi Literature Collections

कुल रचनाएँ: 4

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मेरा भी तो मन करता है

मेरा भी तो मन करता हैमैं भी पढ़ने जाऊँअच्छे कपड़े पहनपीठ पर बस्ता भी लटकाऊँ क्यों अम्मा औरों के घरझाडू-पोंछा करती हैबर्तन मलती, कपड़े धोतीपानी भी भरती है
अम्मा कहती रोज‘बीनकर कूड़ा-कचरा लाओ'लेकिन मेरा मन कहता है‘अम्मा मुझे पढ़ाओ'
कल्लन कल बोलाबच्चू ! मत देखो ऐसे सपनेदूर बहुत है चाँद...

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बचपन से दूर हुए हम

छीनकर खिलौनो को बाँट दिये गम बचपन से दूर बहुत दूर हुए हम
अच्छी तरह से अभी पढ़ना न आयाकपड़ों को अपने बदलना न आयालाद दिए बस्ते हैं भारी-भरकमबचपन से दूर बहुत दूर हुए हम
अँग्रेजी शब्दों का पढ़ना-पढ़ानाघर आकर, दिया हुआ काम निबटानाहोमवर्क करने में निकल जाय दमबचपन से दूर बहुत दूर हुए हम
देकर के थपकी ...

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सो गई है मनुजता की संवेदना

सो गई है मनुजता की संवेदनागीत के रूप में भैरवी गाइएगा न पाओ अगर जागरण के लिएकारवाँ छोड़कर अपने घर जाइए
झूठ की चाशनी में पगी जिन्दगीआजकल स्वाद में कुछ खटाने लगीसत्य सुनने की आदी नहीं है हवाकह दिया, इसलिए लड़खड़ाने लगीसत्य ऐसा कहो, जो न हो निर्वसनउसको शब्दों का परिधान पहनाइए काव्य की कुलवधू हाशिए...

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माँ | कविता

माँ कबीर की साखी जैसीतुलसी की चौपाई-सीमाँ मीरा की पदावली-सीमाँ है ललित रुबाई-सी
माँ वेदों की मूल चेतनामाँ गीता की वाणी-सीमाँ त्रिपिटक के सिद्ध सुत्त-सीलोकोत्तर कल्याणी-सी
माँ द्वारे की तुलसी जैसीमाँ बरगद की छाया-सीमाँ कविता की सहज वेदनामहाकाव्य की काया-सी
माँ अषाढ़ की पहली वर्षा सावन की पुरवाई...

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डॉ. जगदीश व्योम का जीवन परिचय