चाहती हूँ आज देना, प्यार का उपहार जग को।। मुग्ध सपनों के जगत से माँग मैं अरमान लायी, भावनाओ के भवन से साथ मधु के गान लायी।
दूर गगन पर सँध्या की लाली सतरंगी सपनों की चुनरी लहरायी आँचल में भरकर तुझे ओ चंदा
सुहाना सहाना लगे यह मौसम, यह रिमझिम यह सरगम, यह गुंजन
निनी ने फोन को टेबल पर रक्खा। कांपते हाथों से आँसू पोंछते हुए खिड़की से बाहर देखा । काले बादलों के बीच सूरज कहीं छुप गया था । दूर समुद्री लहरें उफान पर थी, ?...