आज वह रोया यह सोचते हुए कि रोना कितना हास्यास्पद है
विषय कुछ और था शहर कोई और पर मुड़ गई बात भिखारी ठाकुर की ओर
मेरे बेटे कुँए में कभी मत झाँकना जाना