बेच रहे थे वह पानी हवा और ज़मीन,तब उसे लगता थाहै मुश्किल खरीदनीही ज़मीन।
उसे कहाँ था मालूमकि कभी डर के कारोबार मौत के बाजार में,नियम यूँ बदलेंगे हवा बाज़ारों में बिकेगी रूपये - पैसे से भी, जिसकी किश्त नचुक पाएगी।
सांसे होंगी बाकी पर हवा नहीं,नहीं.. कहीं...नहीं..और एक दिनअपने ही छूट जाएंगेअपनों ...
पूरा पढ़ें...