काम क्रोध मद लोभ की, जौ लौं मन में खान।तौ लौं पण्डित मूरखौं, तुलसी एक समान।।
तुलसी मीठे बचन ते सुख उपजत चहुं ओर । बसीकरन इक मंत्र है परिहरू बचन कठोर।।
तुलसी साथी विपत्ति के, विद्या विनय विवेक।साहस सुकृति सुसत्यव्रत, राम भरोसे एक।।
दया धर्म का मूल है पाप मूल अभिमान।तुलसी दया न छांड़िए, जब लग घट ...
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