तुलसीदास कृत 'दोहावली' मुक्तक रचना है। इसमें 573 छंद हैं जिनमें 23 सोरठे व शेष दोहे संगृहित हैं।
श्रीसीतारामाभ्यां नम: ध्यान राम बाम दिसि जानकी लखन दाहिनी ओर ।
काम क्रोध मद लोभ की, जौ लौं मन में खान। तौ लौं पण्डित मूरखौं, तुलसी एक समान।। तुलसी मीठे बचन ते सुख उपजत चहुं ओर ।
भलि भारत भूमि भले कुल जन्मु समाजु सरीरु भलो लहि कै। करषा तजि कै परुषा बरषा हिम मारुत धाम सदा सहि कै॥ जो भजै भगवानु सयान सोई तुलसी हठ चातकु ज्यों ज्यौं गहि ?...
किए चरित पावन परम प्राकृत नर अनूरूप।। जथा अनेक वेष धरि नृत्य करइ नट कोइ । सोइ सोइ भाव दिखावअइ आपनु होइ न सोइ ।।