देखतीं है आँखें बहुत कुछज़मीं, आसमान, सड़कें, पुल, मकानपेड़, पौधे, इंसानहाथ, पैर, मुहं, आँख, कानआँसू, मुस्कानमगर खुली आँखों भी अनदेखा रह जाता है बहुत कुछपैरों तले की घंसती ज़मीनसर पर टूटता आसमानढहता हुआ सेतुबढती दरम्यानी दूरियांघर का घर ही ना रहनाये कुछ भीनहीं देख पाती आँखेंतुमने जो भर-भर नयनमुझे...
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