हालदार साहब को हर पंद्रहवें दिन कंपनी के काम से सिलसिले में उस कस्बे से गुजरना पड़ता था। कस्बा बहुत बड़ा नहीं था। जिसे पक्का मकान कहा जा सके वैसे कुछ ही म?...