इस सोते संसार बीच, जग कर सज कर रजनी वाले ! कहाँ बेचने ले जाती हो,
आज बापू की विदा है! अब तुम्हारी संगिनी यमुना, त्रिवेणी, नर्मदा है! तुम समाए प्राण में पर