जोगिन्द्र सिंह कंवल | फीजी साहित्य Hindi Literature Collections

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भारतीय | फीज़ी पर कविता

लम्बे सफर में हम भारतीयों को
कभी पत्थर कभी मिले बबूल
कभी मिट जाती कभी जम जाती

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कभी गिरमिट की आई गुलामी

उस समय फीज़ी में तख्तापलट का समय था। फीज़ी के सुप्रसिद्ध साहित्यकार जोगिन्द्र सिंह कंवल फीज़ी की राजनैतिक दशा और फीज़ी के भविष्य को लेकर चिंतित थे, तभी तो उ?...

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हम लोग | फीज़ी पर कहानी

"बिमल, सोचता हूँ मैं वापस चला जाऊं'', प्रोफेसर महेश कुमार ने निराशा भरे स्वर में कहा ।
मुझे उसके इस सुझाव का कारण पता था । फिर भी जान-बूझकर मैंने प्रश्न किया - ...

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सात सागर पार

सात सागर पार करके भी ठिकाना न मिला
सौ साल प्यार करके भी निभाना न मिला
कई जनमों से तो बिछड़े थे एक मां से हम

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जोगिन्द्र सिंह कंवल | फीजी का जीवन परिचय