मैं रामलुभाया के घर पहुँचा तो देख कर चकित रह गया कि वह बोतल खोल कर बैठा हुआ था।
"यह क्या रामलुभाया !'' मैंने कहा, "तुम तो मदिरा के बहुत विरोधी थे।'"
"विरोधी तो अ?...
रामलुभाया बहुत जल्दी में था। मैं उसे पुकारता रहा और वह मुझ से भागता रहा। अंततः मैंने दौड़ कर उस को पकड़ ही लिया।
‘‘क्या बात है रामलुभाया ?’’
‘‘वह अप...