रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड साहित्य Hindi Literature Collections

कुल रचनाएँ: 188

Author Image

इटली के हिन्‍दी भाषाविद् मार्को जोल्ली से बातचीत

इटली के हिन्‍दी भाषाविद् मार्को जोल्ली हिन्‍दी साहित्य में पीएचडी हैं। आपने भीष्म साहनी पर थीसिस लिखा है। भीष्म साहनी के उपन्यास का इटालियन में अनुवाद किया है। वे लगभग दस वर्षों से हिन्‍दी पढ़ा रहे हैं। उनको इस बार विश्व हिन्‍दी सम्मेलन का भाषा पर केन्द्रित होना अच्छा लगा। आपने ह...

पूरा पढ़ें...


विश्वरंग के निदेशक संतोष चौबे से बातचीत


विश्वरंग उत्सव 2020 में पाँच महाद्वीपों के 16 देशों से 1000 से अधिक साहित्यकारों व कलाकारों ने भागीदारी की। कोरोना काल में ऐसा आयोजन अपने आप में एक उपलब्धि है। 2019 में भोपाल में आयोजित पहले विश्वरंग ने ही साहित्य और कला जगत में अपनी जड़ें बड़ी मजबूती से जमा ली थीं। साहित्य व कला के इस विश्वरं...

पूरा पढ़ें...

हिंदी डे

'देखो, 14 सितम्बर को हिंदी डे है और उस दिन हमें हिंदी लेंगुएज ही यूज़ करनी चाहिए। अंडरस्टैंड?' सरकारी अधिकारी ने आदेश देते हुए कहा।
'यस सर!' कहकर सरकारी बाबू ने भी हामी भरी।
हिंदी-दिवस की तैयारी जोरों पर थी।
-रोहित कुमार 'हैप्पी' 

पूरा पढ़ें...

मैं हिंदोस्तान हूँ | लघु-कथा

मैंने बड़ी हैरत से उसे देखा। उसका सारा बदन लहूलुहान था व बदन से मा‍नों आग की लपटें निकल रही थीं। मैंने उत्सुकतावश पूछा, "तुम्हें क्या हुआ है?"

"मुझे कई रोग लगे हैं; मज़हबवाद, भाषावाद, निर्धनता, अलगाववाद, भ्रष्टाचार, अनैतिकता इत्यादि जिन्होंने मुझे बुरी तरह जकड़ लिया है। यह जो आग मेरे बदन ...

पूरा पढ़ें...

इश्तहार | लघु-कथा

"मेरा बहुत सा क़ीमती सामान जिसमें शांति, सद्‌भाव, राष्ट्र-प्रेम, ईमानदारी, सदाचार आदि शामिल हैं - कहीं गुम गया है। जिस किसी सज्जन को यह सामान मिले, कृपया मुझ तक पहुँचाने का कष्ट करे।

आपका अपना, भारत बनाम हिंदोस्तान "
#
           &...

पूरा पढ़ें...

संदेश

मुझे याद है वह संदेश -'बुरा न सुनो, बुरा न कहो, बुरा न देखो!'
लेकिन...उनके कुकृत्य देखकैसे अनदेखा करूं?
कोई 'निर्भया' पुकारेतोक्या अनसुना करुं?
जब अतिक्रमण हो, उत्पीड़न हो,और.... 'तुम्हारा कहा' भी गांठ बंधा हो, परफिर भी... 
तुम ही कहोकैसे मौन रहूं?
- रोहित कुमार 'हैप्पी'

पूरा पढ़ें...

ज़िंदगी

लाचारी है, बीमारी है, ...फिर भीज़िंदगी सभी को प्यारी है!







#















- रोहित   संपादक, भारत-दर्शन   न्यूज़ीलैंड



पूरा पढ़ें...

जन्म-दिन

यूँ तो जन्म-दिन मैं यूँ भी नहीं मनातापर इस बार...जन्म-दिन बहुत रुलाएगाजन्म-दिन पर 'माँ' बहुत याद आएगीचूँकि...इस बार... 'जन्म-दिन मुबारक' वाली चिरपरिचित आवाज नहीं सुन पाएगी... पर...जन्म-दिन के आस-पास या शायद उसी रात...वो ज़रूर सपने में आएगी... फिर...'जन्म-दिन मुबारिक' कह जाएगीइस बार मैं हँसता हुआ ...

पूरा पढ़ें...

रिश्ते

कुछ खून से बने हुएकुछ आप हैं चुने हुएऔर कुछ...हमने बचाए हुए हैंटूटने-बिखरने को हैं..बस यूं समझो..दीवार पर टंगें कैलंडर की तरह,सजाए हुए हैं।



#







- रोहित कुमार 'हैप्पी'   संपादक, भारत-दर्शन   न्यूज़ीलैंड

पूरा पढ़ें...

मदर'स डे

'आप 'मदर'स डे' को क्या करते हैं?'

'कुछ नहीं।'

'अरे?' मेरे ग़ैर-भारतीय मित्र ने आश्चर्य प्रकट किया।

'देखो रिचर्ड, हम भारतीयों के लिए हर दिन ही 'मदर'स डे' होता है। फिर 'मदर'स डे' का हमारे लिए औचित्य?"

'...परन्तु यह भारत नहीं है। जैसा देश, वैसा भेष वाली कहावत नहीं सुनी क्या?' उसने फि...

पूरा पढ़ें...

दिशा और दशा

मुझे भारत में आए हुए कई महीने हो गए थे और अब तो वापिस न्यूजीलैड लौटने का समय हो गया था।

अरे भई, तुम्हारी सब ख़रीदारी कर लाई हूँ, लो पकड़ो ये किताबें।' बड़ी दीदी ने सामान मुझे थमाते हुए कहा, 'अरे हाँ,  बस वो भारत माता वाली तस्वीर जो तुमने कही थी, कहीं नहीं मिली। तुम अगर बाज़ार जाओ तो खुद ...

पूरा पढ़ें...

लायक बच्चे

अकेली माँ ने उन पाँच बच्चों की परवरिश करके उन्हें लायक बनाया। पांचों अपने पाँवों पर खड़े थे। उनको खड़ा करते-करते माँ बैठ गई थी पर उसे खड़ा करने को कोई नहीं था।  माँ ने एक आधा नालायक़ पैदा किया होता तो शायद आज साथ होता पर लायक बच्चे तो बहुत व्यस्त हो चुके थे। रोहित कुमार 'हैप्पी' न्यूज़ीलै...

पूरा पढ़ें...

रोहित कुमार 'हैप्पी' के दोहे

रोहित कुमार 'हैप्पी' के दोहों का संकलन।
दोहा, मात्रिक अर्द्धसम छंद है। दोहे के चार चरण होते हैं। इसके विषम चरणों (प्रथम तथा तृतीय) में 13-13 मात्राएँ और सम चरणों (द्वितीय तथा चतुर्थ) में 11-11 मात्राएँ होती हैं। विषम चरणों के आदि में जगण (। ऽ।) नहीं होना चाहिए। सम चरणों के अंत में एक गुरु और एक ...

पूरा पढ़ें...

उलझन | लघु-कथा

'ए फॉर एप्पल, बी फॉर बैट' एक देसी बच्चा अँग्रेजी पढ़ रहा था। यह पढ़ाई अपने देश भारत में पढ़ाई जा रही थी।

'ए फार अर्जुन - बी फार बलराम' एक भारतीय संस्था में एक भारतीय बच्चे को विदेश में अँग्रेजी पढ़ाई जा रही थी।

अपने देश में विदेशी ढंग से और विदेश में देसी ढंग से। अपने देश में, 'ए फॉर अर्ज...

पूरा पढ़ें...

सर एडमंड हिलेरी से साक्षात्कार

[सर एडमंड हिलेरी ने 29 मई 1953 को एवरेस्ट विजय की थी। आज वे हमारे बीच नहीं हैं लेकिन 2007 को उनसे हुई बातचीत के अंश आपके लिए यहाँ पुन: प्रकाशित किए जा रहे है]
सर एडमंड हिलेरी निसंदेह 87 वर्षीय वृद्ध हो गए हैं फिर भी उनका हौंसला आज भी माउंट एवरेस्ट की तरह अडिग है। शेरपा तेनज़िंग नोर्गे के साथ 195...

पूरा पढ़ें...

मायने रखता है ज़िंदगी में

किसी का आनाकिसी का चले जानामायने रखता है ज़िंदगी में।
किसी का जगनाकिसी का सोनामायने रखता है ज़िंदगी में।
किसी की सुननाकिसी को सुनानामायने रखता है ज़िंदगी में।
किसी का हँसानाकिसी का रूलानामायने रखता है ज़िंदगी में।
किसी का याद करनाकिसी का भुलानामायने रखता है ज़िंदगी में।
किसी से रूठनाकिसी को ...

पूरा पढ़ें...

एक ऐसी भी घड़ी आती है | ग़ज़ल

एक ऐसी भी घड़ी आती हैजिस्म से रूह बिछुड़ जाती है
अब यहाँ कैसे रोशनी होतीना कोई दीया, न कोई बाती है
हो लिखी जिनके मुकद्दर में ख़िज़ाँ कोई रितु उन्हें ना भाती है
ना कोई रूत ना भाये है मौसमचांदनी रात दिल दुखाती है
एक अर्से से खुद में खोए होयाद किसकी तुम्हें सताती है
रोहित कुमार 'हैप्पी'
 

पूरा पढ़ें...

दूसरा रुख - लघु-कथा

चित्रकार दोस्त ने भेंट स्वरूप एक तस्वीर दी। आवरण हटा कर देखा तो निहायत ख़ुशी हुई, तस्वीर भारत माता की थी। माँ-सी सुन्दर, भोली सूरत, अधरों पर मुसकान, कंठ में सुशोभित ज़ेवरात, मस्तक को और ऊँचा करता हुआ मुकुट व हाथ में तिरंगा।
मैं लगातार उस तस्वीर को देखता रहा। तभी क्या देखता हूँ कि तस्वीर में से ए...

पूरा पढ़ें...

स्वतंत्रता-दिवस | लघु-कथा

महानगर का एक उच्च-मध्यम वर्गीय परिवार।
"अरी महरी, कल तुम सारा दिन हमारे यहां काम कर लेना। मुझे कल 'इंडिपेंडस डे' के कई कार्यक्रमों में जाना है।"
"पर...मेमसाब!"
"पर..क्या?"
"मेमसाब, मुझे भी कल बच्चों के साथ स्वतंत्रता दिवस देखने उनके स्कूल जाना है। मैं तो कल की छुट्टी माँगने वाली थी।"
"अरे, ऐ...

पूरा पढ़ें...

दीवाली

पखवाड़े बाद दीवाली थी, सारा शहर दीवाली के स्वागत में रोशनी से झिलमिला रहा था। कहीं चीनी मिट्‌टी के बर्तन बिक रहे थे तो कहीं मिठाई की दुकानों से आने वाली मन-भावन सुगंध लालायित कर रही थी। उसका दिल दुकानों में घुसने को कर रहा था और मस्तिष्क तंग जेब के यथार्थ का बोध करवा रहा था। 'दिल की छोड़, ...

पूरा पढ़ें...

मकर संक्रांति | त्योहार

मकर संक्रांति हिंदू धर्म का प्रमुख त्यौहार है। यह पर्व पूरे भारत में किसी न किसी रूप में मनाया जाता है। पौष मास में जब सूर्य मकर राशि पर आता है तब इस संक्रांति को मनाया जाता है।
यह त्यौहार अधिकतर जनवरी माह की चौदह तारीख को मनाया जाता है। कभी-कभी यह त्यौहार बारह, तेरह या पंद्रह को भी हो सकता है...

पूरा पढ़ें...

न्यूज़ीलैंड में हिन्दी पठन-पाठन

यूँ तो न्यूज़ीलैंड कुल 40 लाख की आबादी वाला छोटा सा देश है, फिर भी हिंदी के मानचित्र पर अपनी पहचान रखता है। पंजाब और गुजरात के भारतीय न्यूज़ीलैंड में बहुत पहले से बसे हुए हैं किन्तु 1990 के आसपास बहुत से लोग मुम्बई, देहली, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, हरियाणा इत्यादि राज्यों से आकर यहां बस गए। फिजी से भ...

पूरा पढ़ें...

लोहड़ी | आलेख

मकर संक्रांति से एक दिन पूर्व उत्तर भारत विशेषतः पंजाब में लोहड़ी का त्यौहार मनाया जाता है। किसी न किसी नाम से मकर संक्रांति के दिन या उससे आस-पास भारत के विभिन्न प्रदेशों में कोई न कोई त्यौहार मनाया जाता है। मकर संक्रांति के दिन तमिल हिंदू पोंगल का त्यौहार मनाते हैं। इस प्रकार लगभग पूर्ण भारत मे...

पूरा पढ़ें...

न्यू मीडिया

न्यू मीडिया वास्तव में परम्परागत मीडिया का संशोधित रूप है जिसमें तकनीकी क्रांतिकारी परिवर्तन व इसका नया रूप सम्मिलित है। आइए, हिंदी न्यू मीडिया के स्वरुप, उद्भव और विकास पर एक दृष्टिपात करें।
न्यू मीडिया क्या है?वेब पत्रकारिता - योग्यताएं व संसाधनवेब पत्रकारिता लेखन व भाषान्यू मीडिया विशेषज्ञ या...

पूरा पढ़ें...

रोहित कुमार 'हैप्पी' | न्यूज़ीलैंड का जीवन परिचय