लगभग बाईस दिनों तक 'कोमा' में रहने के बाद जब उसे होश आया था तो जिस जीवनदायिनी को उसने अपने करीब, बहुत निकट पाया था, वे थी, मारथा मम्मी। अस्पताल के अन्य मरीजों...
आहट सुन लक्ष्मा ने सूप से गरदन ऊपर उठाई। सावित्री अक्का झोंपड़ी के किवाड़ों से लगी भीतर झांकती दिखी। सूप फटकारना छोड़कर वह उठ खड़ी हुई, ‘‘आ, अंदर कू आ, ?...