कथा-कहानियाँ

हिंदी कहानियाँ (Hindi Stories): पढ़ें मनोरंजक, प्रेरणादायक और शिक्षाप्रद कहानियों का संग्रह।

इस श्रेणी के अंतर्गत

चुनौती | लघुकथा

- रामकुमार आत्रेय | Ramkumar Atrey

वृन्दावन गया था। बाँके बिहारी के दर्शन करने के पश्चात् मन में आया कि यमुना के पवित्र जल में भी डुबकी लगाता चलूँ। पवित्र नदियों में स्नान करने का अवसर रोज-रोज थोड़े ही मिलता है।
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इनाम | कहानी

- नागार्जुन | Nagarjuna

हिरन का मांस खाते-खाते भेड़ियों के गले में हाड़ का एक काँटा अटक गया।

बेचारे का गला सूज आया। न वह कुछ खा सकता था, न कुछ पी सकता था। तकलीफ के मारे छटपटा रहा था। भागा फिरता था-इधर से उधर, उधर से इधऱ। न चैन था, न आराम था। इतने में उसे एक सारस दिखाई पड़ा-नदी के किनारे। वह घोंघा फोड़कर निगल रहा था।

भेड़िया सारस के नजदीक आया। आँखों में आँसू भरकर और गिड़गिड़ाकर उसने कहा-''भइया, बड़ी मुसीबत में फँस गया हूँ। गले में काँटा अटक गया है, लो तुम उसे निकाल दो और मेरी जान बचाओ। पीछे तुम जो भी माँगोगे, मैं जरूर दूँगा। रहम करो भाई !''

सारस का गला लम्बा था, चोंच नुकीली और तेज थी। भेड़िये की वैसी हालत देखकर उसके दिल को बड़ी चोट लगी भेड़िये ने मुंह में अपना लम्बा गला डालकर सारस ने चट् से काँटा निकाल लिया और बोला-''भाई साहब, अब आप मुझे इनाम दीजिए !''

सारस की यह बात सुनते ही भेड़िये की आँखें लाल हो आई, नाराजी के मारे वह उठकर खड़ा हो गया। सारस की ओर मुंह बढ़ाकर भेडिया दाँत पीसने लगा और बोला-''इनाम चाहिए ! जा भाग, जान बची तो लाखों पाये ! भेड़िये के मुँह में अपना सिर डालकर फिर तू उसे सही-सलामत निकाल ले सका, यह कोई मामूली इनाम नहीं है। बेटा ! टें टें मत कर ! भाग जा नहीं तो कचूमर निकाल दूँगा।''

सारस डर के मारे थर-थर काँपने लगा। भेड़िये को अब वह क्या जवाब दे, कुछ सूझ ही नहीं रहा था। गरीब मन-ही-मन गुनगुना उठा-
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नाकारा सरकार | लघुकथा

- डॉ. वंदना मुकेश | इंग्लैंड

Indian Police
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फ़र्क | लघुकथा

- विष्णु प्रभाकर | Vishnu Prabhakar

उस दिन उसके मन में इच्छा हुई कि भारत और पाक के बीच की सीमारेखा को देखा जाए, जो कभी एक देश था, वह अब दो होकर कैसा लगता है? दो थे तो दोनों एक-दूसरे के प्रति शंकालु थे। दोनों ओर पहरा था। बीच में कुछ भूमि होती है जिस पर किसी का अधिकार नहीं होता। दोनों उस पर खड़े हो सकते हैं। वह वहीं खड़ा था, लेकिन अकेला नहीं था-पत्नी थी और थे अठारह सशस्त्र सैनिक और उनका कमाण्डर भी। दूसरे देश के सैनिकों के सामने वे उसे अकेला कैसे छोड़ सकते थे! इतना ही नहीं, कमाण्डर ने उसके कान में कहा, "उधर के सैनिक आपको चाय के लिए बुला सकते हैं, जाइएगा नहीं। पता नहीं क्या हो जाए? आपकी पत्नी साथ में है और फिर कल हमने उनके छह तस्कर मार डाले थे।"
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ठेका | कहानी

- विष्णु प्रभाकर | Vishnu Prabhakar

ठेका कहानी
 

धीरे-धीरे कहकहों का शोर शांत हो चला और मेहमान एक-एक करके विदा होने लगे। लकदक करती ठेकेदारों की फैशनेबल बीवियाँ और अपने को अब भी जवान माननेवाली छोटे अफसरों की अधेड़ घरवालियाँ, सभी ही-ही करती चमकती, इठलाती चली गई, लेकिन रोशनलाल की पत्नी तब तक आई भी नहीं। वह कई बार बीच में से उठकर होटल के बाहर गया। खाते-पीते, बातें करते, उसकी दृष्टि बराबर द्वार की ओर लगी रही, पर संतोष उसे नहीं दिखाई दी, नहीं दिखाई दी। यह बात नहीं कि संतोष को इस पार्टी का पता नहीं था, इसके विपरीत उसने रोशनलाल को कई बार इस पार्टी की याद दिलाई थी। आज सवेरे उससे विशेष रूप से कहा था, 'राजकिशोर शाम को वेंगर में पार्टी दे रहे हैं। भूलिएगा नहीं।"
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समतल मैदान | कहानी

- डॉ अमित रंजन

समतल कहानी
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बच्चे की कसम | कहानी

- दिलीप कुमार

बच्चे की कसम - कहानी
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सोया हुआ दैत्य | फीजी की लोक-कथा

- रोहित कुमार हैप्पी

Sleeping Giant - Fijian Folk Story
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हड्डियों का पिंजर | कहानी

- रबीन्द्रनाथ टैगोर | Rabindranath Tagore

Haddiyon Ka Dhancha - Hindi Story by Ravindranath Tagore
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आहुति | लघुकथा

- कन्हैया लाल मिश्र 'प्रभाकर' | Kanhaiyalal Mishra 'Prabhakar'

अंगार ने ऋषि की आहुतियों का घी पिया और हव्य के रस चाटे। कुछ देर बाद वह ठंडा होकर राख हो गया और कूड़े की ढेरी पर फेंक दिया गया।
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करामात | लघुकथा

- सआदत हसन मंटो | Saadat Hasan Manto

लूटा हुआ माल बरामद करने के लिए पुलिस ने छापे मारने शुरू किए।
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