जिस देश को अपनी भाषा और अपने साहित्य के गौरव का अनुभव नहीं है, वह उन्नत नहीं हो सकता। - देशरत्न डॉ. राजेन्द्रप्रसाद।

 
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कोरोना हाइकु - बासुदेव अग्रवाल नमन

कोरोनासुर
विपदा बन कर
टूटा भू पर।
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