जिस देश को अपनी भाषा और अपने साहित्य के गौरव का अनुभव नहीं है, वह उन्नत नहीं हो सकता। - देशरत्न डॉ. राजेन्द्रप्रसाद।

 
कथा-कहानी
अंतरजाल पर हिंदी कहानियां व हिंदी साहित्य निशुल्क पढ़ें। कथा-कहानी के अंतर्गत यहां आप हिंदी कहानियां, कथाएं, लोक-कथाएं व लघु-कथाएं पढ़ पाएंगे। पढ़िए मुंशी प्रेमचंद,रबीन्द्रनाथ टैगोर, भीष्म साहनी, मोहन राकेश, चंद्रधर शर्मा गुलेरी, फणीश्वरनाथ रेणु, सुदर्शन, कमलेश्वर, विष्णु प्रभाकर, कृष्णा सोबती, यशपाल, अज्ञेय, निराला, महादेवी वर्मालियो टोल्स्टोय की कहानियां

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मेंढ़की का ब्याह - वृंदावनलाल वर्मा

उन जिलों में त्राहि-त्राहि मच रही थी। आषाढ़ चला गया, सावन निकलने को हुआ, परन्तु पानी की बूंद नहीं। आकाश में बादल कभी-कभी छिटपुट होकर इधर-उधर बह जाते। आशा थी कि पानी बरसेगा, क्योंकि गांववालों ने कुछ पत्रों में पढ़ा था कि कलकत्ता-मद्रास की तरफ जोर की वर्षा हुई है। लगते आसाढ़ थोड़ा सा बरसा भी था । आगे भी बरसेगा, इसी आशा में अनाज बो दिया गया था । अनाज जम निकला, फिर हरियाकर सूखने लगा। यदि चार-छ: दिन और न बरसा, तो सब समाप्त । यह आशंका उन जिलों के गांवों में घर करने लगी थी। लोग व्याकुल थे।
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गीली मिट्टी - अमृतराय

नींद में ही जैसे मैंने माया की आवाज़ सुनी और चौंककर मेरी आंख खुल गई। बगल के पलंग पर नज़र गई, माया वहां नहीं थी। आज इतने सवेरे माया कैसे उठ गई, कुछ बात समझ में नहीं आई ।
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गिल्लू - महादेवी वर्मा | Mahadevi Verma

सोनजुही में आज एक पीली कली लगी है। इसे देखकर अनायास ही उस छोटे जीव का स्मरण हो आया, जो इस लता की सघन हरीतिमा में छिपकर बैठता था और फिर मेरे निकट पहुँचते ही कंधे पर कूदकर मुझे चौंका देता था। तब मुझे कली की खोज रहती थी, पर आज उस लघुप्राण की खोज है।
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मृत्युंजय - डॉ. चंद्रेश कुमार छतलानी

आतंकवादियों से लड़ते समय शहीद हुए सैनिक के शव का जैसे ही गाँव के पास पहुँचने का सन्देश मिला, तो पूरे परिवार के सब्र का बाँध टूट गया। उसकी माँ और पत्नी कर क्रंदन हृदय विदारक था।
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माँ - शैलेन्द्र कुमार दुबे


"माँ, हम दोनों ने फैसला कर लिया है कि हमारा बच्चा किसी और की कोख से पैदा होगा ।"
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दो लघु-कथाएँ  - डॉ. पूरन सिंह

मेकअप
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सियार का बदला - ओमप्रकाश क्षत्रिय "प्रकाश"

एक बार की बात है। एक जंगल में एक सियार रहता था। वह भूख से परेशान हो कर गांव में पहुंचा। उस ने वहां दड़बे में एक मुर्गी देखी। उसे मुंह में दबा कर भाग लिया और एक पेड़ की छाया में जाकर उसे खाने लगा।
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घासवाली | कहानी - मुंशी प्रेमचंद | Munshi Premchand


मुलिया हरी-हरी घास का गट्ठा लेकर आयी, तो उसका गेहुआँ रँग कुछ तमतमाया हुआ था और बड़ी-बड़ी मद-भरी आँखों में शंका समाई हुई थी। महावीर ने उसका तमतमाया हुआ चेहरा देखकर पूछा -- क्या है मुलिया, आज कैसा जी है?
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अनशन | लघु कथा  - डॉ. पूरन सिंह

अन्ना हजारे का भ्रष्टाचार के विरोध में अनशन जारी था। वे और उनकी कम्पनी लोकपाल बिल लाने के लिए सरकार पर दबाव बनाने के लिए जमीन आसमान एक किए दे रहे थे। मुझे उनकी बात ठीक लगी इसीलिए मैं उनसे मिलना चाहता था । विशाल भीड़ में उन तक पहुंचना मुश्किल था । उनके समर्थक ब्लैक कैट कमांडो की तरह उनके आस-पास मंडरा रहे थे । अब एैसे में उनसे कैसे मिला जाए, मैं सोच रहा था।
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महीने के आख़री दिन  - राकेश पांडे

महीने के आख़री दिन थे। मेरे लिए तो महीने का हर दिन एक सा होता है। कौन सी मुझे तनख़्वाह मिलती है?  आई'म नोट एनिवन'स सर्वेंट! (I'm not anyone's servant!) राइटर हूँ।खुद लिखता हूँ और उसी की कमाई ख़ाता हू। अफ़सोस सिर्फ़ इतना है, कमाई होती ही नही। मैने सुना है की ऑस्ट्रेलिया के आदिवासी बूंरंगस (boomerangs) यूज़  करते हैं, शिकार के लिए, जो के फेंकने के बाद वापस आ जाता है। मेरी रचनायें उस बूंरंग को भी शर्मिंदा कर देंगी। इस रफ़्तार से वापस आती हैं।
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गूंगी - रबीन्द्रनाथ टैगोर | Rabindranath Tagore

कन्या का नाम जब सुभाषिणी रखा गया था तब कौन जानता था कि वह गूंगी होगी। इसके पहले, उसकी दो बड़ी बहनों के सुकेशिनी और सुहासिनी नाम रखे जा चुके थे, इसी से तुकबन्दी मिलाने के हेतु उसके पिता ने छोटी कन्या का नाम रख दिया सुभाषिणी। अब केवल सब उसे सुभा ही कहकर बुलाते हैं।
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कवि का चुनाव - सुदर्शन | Sudershan

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