धुंध है घर में उजाला लाइए
रोशनी का इक दुशाला लाइए
केचुओं की भीड़ आँगन में बढ़ी
आदमी अब रीढ़ वाला लाइए
जम गया है मोम सारी देह में
गर्म फौलादी निवाला लाइए
जूझने का जुल्म से संकल्प दे
आज ऐसी पाठशाला लाइए
- डॉ.ऋषभदेव शर्मा
(तरकश, 1996)
धुंध है घर में उजाला लाइए
रोशनी का इक दुशाला लाइए
केचुओं की भीड़ आँगन में बढ़ी
आदमी अब रीढ़ वाला लाइए
जम गया है मोम सारी देह में
गर्म फौलादी निवाला लाइए
जूझने का जुल्म से संकल्प दे
आज ऐसी पाठशाला लाइए
- डॉ.ऋषभदेव शर्मा
(तरकश, 1996)