1928 से 1930 के बीच आनन्दराव जोशी और प्रेमचंद के बीच उनकी सर्वोत्तम कहानियों के अनुवाद को लेकर व्यवहार होता रहा। आइए, जाने प्रेमचंद भारत की अन्य प्रांतीय भाषाओं में अपनी किन कहानियों का अनुवाद चाहते थे। आनन्दराव जोशी लिखते हैं--
यों तो स्व० प्रेमचंद जी के शुभ नाम से तथा उनके कथा-साहित्य से मैं बहुत वर्षों से परिचित था किन्तु उनसे पत्रव्यवहार करने का सुअवसर मुझे सन् 1928 ई० में मिला। उस वर्ष मैंने पत्र लिखकर उनकी सर्वोत्तम हिन्दी कहानियों का मराठी में अनुवाद करने की आज्ञा मांगी और उन्होंने सहर्ष दी। उस समय से उनकी मृत्यु तक हमारा परस्पर पत्रव्यवहार बराबर जारी रहा। उनकी मृत्यु के कुछ दिन पूर्व-ता० 13 सितम्बर, 1936 ई० को उन्होंने मुझे पत्र लिखकर मुझसे मराठी की तीन सर्वोत्तम हास्यरस की कहानियों के नाम मांगे थे, और उन कहानियों का हिन्दी में अनुवाद करने का काम भी मुझ पर सौंपने वाले थे।
इस प्रकार सन् 1928 ई० में अनुवाद करने की आज्ञा प्राप्त होने पर मैंने स्व० प्रेमचंद जी से उनकी प्रसिद्ध एवं लोक प्रिय कहानियों के कुछ नाम भेजने के लिए तथा (अनुवाद के लिए) कहानियों के चुनाव के सम्बन्ध में सलाह देने की प्रार्थना की थी। इस विषय में आगे उनसे बहुत कुछ पत्रव्यवहार होता रहा। यथासयय मैंने अनुवाद का कार्य पूरा किया। सन् 1929 ई के जून में इन अनुधादित कहानियों की पुस्तक' प्रेमचंदाच्या गोष्टी' (भाग-1) के नाम से पूना के सुप्रसिद्ध चित्रशाला प्रेस से प्रकाशित हुई। इस पुस्तक में प्रेमचंद जी की निम्न 14 कहानियों का संग्रह किया गया है--
(1) राजा हरदौल, (2) रानी सारन्धा, (3) मन्दिर और मसजिद, (4) एक्ट्रेस, (5) अग्नि-समाधि, (6) विनोद, (7) आत्माराम, (8) सुजान भगत, (9) बूढ़ी काकी, (10) दुर्गा का मन्दिर, (11) शतरंज के खिलाड़ी. (12) पंच परमेश्वर, (13) बड़े घर की बेटी और (14) विध्वंस।
प्रेमचंद जी ने अपने पत्रों में जिन कहानियों के नाम लिख भेजे थे उनमें से कुछ कहानियां मुझे यथासमय न मिल सकने के कारण मैं उनका उपयोग न कर सका।
स्व० प्रेमचंद जी के पत्रों से कुछ महत्वपूर्ण उदाहरण यहां दे रहा हूं। इन उदाहरणों से प्रेमचंद जी को अपनी कौन-सी कहानियां विशेष प्रिय थीं और वह अपनी कौन-सी कहानियां सर्वोत्तम मानते थे, इसकी पाठकों को कुछ कल्पना अवश्य हो जायगी।
पत्र संख्या 1
Madhuri office.
N. K Book Depot,
Lucknow.
11-1-1928.
.....you may take up some 12 selected stories form all of my stories. I would advice you to take
(1) आत्माराम, (2) बूढ़ी काकी, (3) पंच परमेश्वर, (4) सुजान भगत, (5) शतरंज के खिलाड़ों, (6) मन्दिर और मसजिद, (7) रानी सारंधा (8) विक्रमादित्य की कटार, (9) कामना तरु, (10) डिग्री के रुपये, (11) बड़े घर की बेटी (12) दुर्गा का मन्दिर। You will find these stories dispersed in all collections, namely प्रेमप्रसून, प्रेमपच्चीसो, प्रेमपूर्णिमा, सप्तसरोज, नवनिधि and the life of Madhuri. I am sure this collection will be welcome to the Marathi reading public.
पत्र संख्या 2
'माधुरी' कार्यालय
नवलकिशोर प्रेस, लखनऊ
16-2-1928
...yes, you may translate the stories. I hope you will get a sufficient number of them in Madhuri. You may select some 12 of them and try........If you can get hold of may collections in any library, select पंच परमेश्वर, हरदौल, दुर्गा का मन्दिर, मन्दिर और मस्जिद, कामना तरु, सुजान भगत, सती लैला (Sarsawatı), बड़े घर की बेटी etc.
Please let me know whether you have selected and commenced work.
पत्र संख्या 3
Madhuri office
N. K. Press Book Depot,
Lucknow. 4-4-1928
...you may translate Agni Samadhi. Mantra of other stories appearing in contemporary periodicals, You have asked me to name 12 of my best stories. Here is a bit--
(1) राजा हरदौल, (2) रानी सारंधा, (3) सौत, (4) पंच परमेश्वर, (5) आत्माराम, (6) मन्दिर और मसजिद, (7) दुर्गा का मन्दिर, (8) ईश्वरीय न्याय, (9) नामक का दरोगा, (10) सती, (11) कामना तरु, (12) लांछन, (13) मन्त्र।
In my opinion these are the 12 best of my stories. But of course the selection is not final. It is off-hand.
पत्र संख्या 4
'माधुरी' कार्यालय
नवलकिशोर प्रेस, लखनऊ।
23-6-1928
......I am glad you are proceeding with my stories. You will be glad to see 'Actress' translated in the 'Modern Review' of this month. Some of the stories have been translated into Japanese language.
पत्र संख्या 5
Aminuddoula Park
Lucknow.
2-5-1930
...yes, you may now take up the 2nd. part. Do you receive Madhuri every month? I think 'घर जमाई', 'घासवाली', 'खुचड़' ect. are decent stories. Which collections of mine are with you? I have recently brought out' पांच फूल', 5 of my stories. Another collection of Premkunj. Hans had may 'जुलूस' which was very much liked here. 'मां' appeared in Madhuri and was much liked. Is there any library containing all my works? If so, the work of selection would be facilitated. First you may take these Madhuri ones.
पत्र संख्या 6
Aminuddoula Park,
Lucknow.
12-5-1930
'घास वाली' was appreciated generally. You include it. One or two other stories too have been much liked these days. But the collections I have mentioned and which will reach you, contain enough material for you. Hans is being appreciated but the number of subscribers is not rising as expected. We are not disheartened, however.
आशा है, उपर्युक्त उद्धरण पाठकों को विशेषकर स्वः प्रेमचंद जो के कथा-साहित्य के प्रेमियों को-मनोरंजक, उद्बोधक एवं कुतूहलवर्द्धक प्रतीत होंगे।