सड़कों पे ढले साये
दिन बीत गया, राहें
हम देख न उकताये!
सड़कों पे ढले साये
जिनको न कभी आना,
वे याद हमें आये!
सड़कों पे ढले साये
जो दुख से चिर-परिचित
कब दुख से घबराये!
-उपेन्द्रनाथ अश्क
सड़कों पे ढले साये
दिन बीत गया, राहें
हम देख न उकताये!
सड़कों पे ढले साये
जिनको न कभी आना,
वे याद हमें आये!
सड़कों पे ढले साये
जो दुख से चिर-परिचित
कब दुख से घबराये!
-उपेन्द्रनाथ अश्क