किस चीज़ से डरते हैं वे
तमाम धन-दौलत
गोला-बारूद पुलिस-फ़ौज के बावजूद?
वे डरते हैं
कि एक दिन
निहत्थे और ग़रीब लोग
उनसे डरना
बंद कर देंगे ।
-गोरख पाण्डेय
(रचनाकाल 1979)
[जागते रहो सोने वालो, राधाकृष्ण प्रकाशन, नई दिल्ली, 1983]
किस चीज़ से डरते हैं वे
तमाम धन-दौलत
गोला-बारूद पुलिस-फ़ौज के बावजूद?
वे डरते हैं
कि एक दिन
निहत्थे और ग़रीब लोग
उनसे डरना
बंद कर देंगे ।
-गोरख पाण्डेय
(रचनाकाल 1979)
[जागते रहो सोने वालो, राधाकृष्ण प्रकाशन, नई दिल्ली, 1983]