ना लिखे भी ना सोचे भीना चीख पुकार के भीनानाविध उपकरण और विधियाँ भी बेकारउपाय यही इस मन से मोक्ष का
अब खाली दानपात्र में बस बचा हूँ मैं हीचुराता नहीं जिसे वहाँ से कोई,जरूरी होता है कभी कभी देखना भीआइने को अपने अलावा भी
- मोहन राणा
#