नीला सियार | पंचतंत्र

रचनाकार: विष्णु शर्मा

नीला सियार - पंचतंत्र की कहानी

बहुत समय पहले की बात है। एक जंगल में एक चालाक सियार रहता था। वह बहुत घमंडी था और किसी की बात नहीं सुनता था। सब जानवर उससे परेशान रहते थे।

एक दिन वह सियार जंगल से बाहर शिकार की खोज में गया। वह एक गाँव में पहुँच गया। वहाँ कुछ कुत्तों ने उसे देख लिया और उसके पीछे भागे। सियार डर गया और भागते-भागते एक रंग के ड्रम में गिर गया।

जब कुत्ते वहाँ से चले गए, तब सियार ड्रम से बाहर आया। अब उसका पूरा शरीर नीले रंग में रंग गया था। वह अजीब लगने लगा था।

जब वह वापस जंगल में आया, तो उसका नीला रंग देखकर सब जानवर डर गए। सबको लगा कि यह कोई अनोखा प्राणी है।

सियार ने कहा — “डरो मत। भगवान ने मुझे खास रंग देकर तुम्हारे पास भेजा है। अब से मैं तुम्हारा राजा हूँ। मैं तुम्हारी रक्षा करूँगा।”

सियार की बात सुनकर सब जानवर उसकी बात मान गए। शेर, बाघ, हाथी — सबने उसे राजा बना दिया।

अब नीले सियार की मौज हो गई। जो खाना वह माँगता, वही मिल जाता। सब जानवर उसकी सेवा करते थे। उसने अपने जैसे बाकी सियारों को जंगल से भगा दिया, ताकि कोई उसकी असलियत न पहचान सके।

एक रात चाँदनी फैली थी। दूर कहीं सियारों की टोली हुआँ-हुआँ कर रही थी। आवाज़ सुनकर नीला सियार अपने को भूल गया। उसने भी ज़ोर-ज़ोर से हुआँ-हुआँ करना शुरू कर दिया।

शेर और बाघ ने जब यह देखा, तो समझ गए कि वह कोई देवता नहीं, बल्कि एक सियार है।

गुस्से में आकर सब जानवर उस पर टूट पड़े और उसे मार डाला।

सीख : झूठ और चालाकी से मिला सम्मान ज्यादा समय नहीं टिकता। सच्चाई हमेशा सामने आ जाती है।