विदेशी भाषा के शब्द, उसके भाव तथा दृष्टांत हमारे हृदय पर वह प्रभाव नहीं डाल सकते जो मातृभाषा के चिरपरिचित तथा हृदयग्राही वाक्य। - मन्नन द्विवेदी।

निराला की शिक्षाप्रद कहानियां

 (कथा-कहानी) 
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रचनाकार:

 सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला' | Suryakant Tripathi 'Nirala'

'निराला की सीखभरी कहानियाँ' में सम्मिलित कई रचनाएं उनकी मौलिक न होकर उनके द्वारा एसोप फेबल्स की अनुदित कहानियाँ हैं। 'निराला' ने एसोप की कथाओं का सुन्दर भावानुवाद किया है। एसोप फेबल्स या एसोपपिका प्राचीन ग्रीक कथाकार एसोप द्वारा लिखीं गई है और उसी के नाम से जानी जाती है । यह कहानियाँ प्राचीन समय से ही काफी लोकप्रिय है। आइए, निराला की सीखभरी कहानियों का आनंद उठाएं और इनसे सीख लें ।

यदि आप इन कहानियों को अपने किसी प्रकार के प्रकाशन (वेब साइट, ब्लॉग या पत्र-पत्रिका) में प्रकाशित करना चाहें तो कृपया मूल स्रोत का सम्मान करते हुए  'भारत-दर्शन' का उल्लेख अवश्य करें।

 

सौदागर और कप्तान

एक सौदागर समुद्री यात्रा कर रहा था, एक रोज उसने जहाज के कप्‍तान से पूछा, ''कैसी मौत से तुम्‍हारे बाप मरे?"

कप्‍तान ने कहा, ''जनाब, मेरे पिता, मेरे दादा और मेरे परदादा समन्दर में डूब मरे।''

सौदागर ने कहा, ''तो बार-बार समुद्र की यात्रा करते हुए तुम्‍हें समन्दर में डूबकर मरने का खौफ़ नहीं होता?"

''बिलकुल नहीं,'' कप्‍तान ने कहा, ''जनाब, कृपा करके बतलाइए कि आपके पिता, दादा और परदादा किस मौत के घाट उतरे?"

सौदागर ने कहा, ''जैसे दूसरे लोग मरते हैं, वे पलँग पर सुख की मौत मरे।''

कप्‍तान ने जवाब दिया, ''तो आपको पलंग पर लेटने का‍ जितना खौफ़ होना चाहिए, उससे ज्‍यादा मुझे समुद्र में जाने का नहीं।''

शिक्षा - विपत्ति का अभ्‍यास पड़ जाने पर वह हमारे लिए रोजमर्रा बन जाती है।

-सूर्यकांत त्रिपाठी निराला

 

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